Sunday, March 30, 2025

राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020 द्वारा डाॅ. रीता सिंह असिस्टेंट प्रोफेसर राजनीति विज्ञान विभाग एन. के. बी. एम. जी. पी. जी. कॉलेज, चन्दौसी सम्भल

दोहे : राष्ट्रीय शिक्षा नीति - 2020 

एक नयी है धारणा , राष्ट्र शिक्षा नीति ।
परिवर्तन यह ला रही , छोड़ पुरानी रीति ।। 

लक्ष्य शिक्षा नीति का , करना समग्र विकास ।
छात्र - छात्रा सब पढ़ें, बढ़े आत्मविश्वास ।। 

स्कूली शिक्षा के सभी , स्तर में बड़ा सुधार ।
है आदि बालवाटिका , नयी नीति के द्वार ।। 

प्री स्कूल पाँच वर्ष है , बन जाता आधार ।
बच्चें सीखें खेल में, पाते ज्ञान अपार ।। 

स्तर प्रारंभिक दूसरा , वर्ग तीन से पाँच ।
मध्यम निज भाषा बने , हो कौशल की जाँच ।। 

मध्य चरण है तीसरा , कक्षा छः से आठ ।
बुनियादी समझ बढ़े , कला गणित विज्ञान ।। 

पद परम वर्ष चार का , नौ से बारह जान ।
छात्र विविध विषय चुने , पाते मन से ज्ञान ।। 

प्रेरित चिंतन को करे , देती अनेक विकल्प ।
रुचियों का विस्तार हो , रहता ज्ञान न अल्प ।। 

गुणों भरी शिक्षा मिले, बढ़े नाम अनुपात ।
उच्च शिक्षा लक्ष्य यह ,डेढ़ दशक में प्राप्त ।। 

तकनीकी कौशल बढ़े ,सीखें डेटा ज्ञान ।
कोडिंग , ए आई पढ़े, रोबोटिक्स भी जान ।। 

प्रेरक है संवाद की , छात्र रहें सब व्यस्त ।
क्षमताओं का सूर्य तो , होगा कभी न अस्त ।। 

विश्व स्तरीय केन्द्र बने ,नवाचार का देश ।
प्रौद्योगिकी विज्ञान में , लक्ष्य वृद्धि निवेश ।। 

डाॅ. रीता सिंह 
असिस्टेंट प्रोफेसर 
राजनीति विज्ञान विभाग 
एन. के. बी. एम. जी. पी. जी. कॉलेज, 
चन्दौसी सम्भल 



 



 

Saturday, March 29, 2025

NAS (National Achievement Survey) और SAS (State Achievement Survey) की व्याख्या

NAS (National Achievement Survey) और SAS (State Achievement Survey) की व्याख्या

NAS और SAS दोनों शिक्षा गुणवत्ता मूल्यांकन सर्वेक्षण हैं, जिनका उद्देश्य विद्यार्थियों की सीखने की उपलब्धियों का आकलन करना और शिक्षा व्यवस्था की प्रभावशीलता को मापना है।


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1. NAS (National Achievement Survey) – राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण

परिचय:

NAS (राष्ट्रीय उपलब्धि सर्वेक्षण) एक राष्ट्रीय स्तर का शिक्षण मूल्यांकन सर्वेक्षण है, जिसे NCERT (राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद) और CBSE (केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड) के सहयोग से शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जाता है। इसका उद्देश्य देशभर में विद्यार्थियों के अधिगम स्तर (Learning Outcomes) को समझना और शिक्षा नीति में सुधार लाना है।

मुख्य विशेषताएँ:

✅ राष्ट्रीय स्तर का आकलन – भारत के सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में किया जाता है।
✅ त्रि-वार्षिक सर्वेक्षण – आमतौर पर हर तीन साल में आयोजित किया जाता है।
✅ कक्षा 3, 5, 8 और 10 के छात्रों का मूल्यांकन किया जाता है।
✅ बुनियादी साक्षरता, संख्यात्मक ज्ञान, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान और अंग्रेजी जैसे विषयों पर आधारित।
✅ CBSE और राज्य शिक्षा बोर्डों के साथ समन्वय में किया जाता है।
✅ सर्वेक्षण में प्रश्न पत्र ऑब्जेक्टिव (MCQs) आधारित होते हैं।

NAS के उद्देश्य:

✔️ शिक्षा की गुणवत्ता का राष्ट्रीय स्तर पर मूल्यांकन करना।
✔️ सीखने के स्तर में राज्यों के बीच असमानताओं को पहचानना।
✔️ नीति निर्माण के लिए डेटा प्रदान करना।
✔️ शिक्षकों, पाठ्यक्रम और शिक्षण विधियों में सुधार के लिए सिफारिशें देना।

NAS 2021 के प्रमुख निष्कर्ष:

कोविड-19 महामारी के कारण छात्रों के अधिगम स्तर पर प्रभाव पड़ा।

गणित और विज्ञान में औसत प्रदर्शन अपेक्षाकृत कम रहा।

डिजिटल लर्निंग को अपनाने की आवश्यकता पर बल दिया गया।



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2. SAS (State Achievement Survey) – राज्य उपलब्धि सर्वेक्षण

परिचय:

SAS (राज्य उपलब्धि सर्वेक्षण) एक राज्य स्तर पर आयोजित किया जाने वाला मूल्यांकन है, जो NAS की तर्ज पर राज्य सरकारों द्वारा संचालित किया जाता है। इसका उद्देश्य राज्य की शिक्षा प्रणाली की स्थिति को समझना और स्थानीय जरूरतों के अनुसार सुधारात्मक कदम उठाना है।

मुख्य विशेषताएँ:

✅ राज्य सरकार द्वारा आयोजित किया जाता है।
✅ प्राथमिक और माध्यमिक कक्षाओं (आमतौर पर कक्षा 3, 5 और 8) के छात्रों का मूल्यांकन।
✅ राज्य की भाषा, गणित, विज्ञान और सामाजिक विज्ञान जैसे विषयों पर केंद्रित।
✅ शिक्षकों और प्रशासन को डेटा-संचालित निर्णय लेने में मदद करता है।

SAS के उद्देश्य:

✔️ राज्य स्तर पर छात्रों के सीखने के परिणामों को समझना।
✔️ शिक्षा नीति निर्माण में सहायता प्रदान करना।
✔️ राज्य में कमजोर क्षेत्रों की पहचान कर सुधारात्मक कार्रवाई करना।
✔️ NAS के लिए डेटा तैयार करना और राष्ट्रीय सर्वेक्षण की तैयारी करना।


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NAS और SAS में अंतर


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निष्कर्ष:

✅ NAS एक राष्ट्रीय स्तर का सर्वेक्षण है, जबकि SAS राज्य स्तर पर किया जाता है।
✅ NAS का उद्देश्य पूरे देश की शिक्षा गुणवत्ता को मापना है, जबकि SAS राज्य स्तर पर विशिष्ट शिक्षा चुनौतियों का विश्लेषण करता है।
✅ दोनों सर्वेक्षण शिक्षा नीति सुधारने, शिक्षकों को प्रशिक्षित करने और छात्रों की सीखने की क्षमता को बढ़ाने में मदद करते हैं।

👉 NAS और SAS के डेटा का उपयोग शिक्षा नीति में सुधार, शिक्षकों के प्रशिक्षण और अधिगम स्तर बढ़ाने के लिए किया जाता है, ताकि भारत में शिक्षा की गुणवत्ता को और बेहतर बनाया जा सके।

ARP क्या है, कार्य

ARP (Academic Resource Person) क्या है?

ARP (Academic Resource Person) शिक्षा विभाग द्वारा नियुक्त एक शैक्षिक संसाधन व्यक्ति होता है, जो शिक्षकों के प्रशिक्षण, शिक्षण पद्धतियों में सुधार, और शैक्षिक गुणवत्ता को बढ़ाने में सहायता करता है। इसे राज्य और जिला स्तर पर शिक्षा विभाग, SCERT, DIET और अन्य शैक्षिक संस्थानों के माध्यम से नियुक्त किया जाता है।


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ARP के प्रमुख कार्य

1. शिक्षकों का प्रशिक्षण और सहयोग

निष्ठा प्रशिक्षण (NISHTHA), FLN (Foundational Literacy and Numeracy) और निपुण भारत मिशन के तहत शिक्षकों को प्रशिक्षित करना।

शिक्षकों को नई शिक्षण विधियों, तकनीकों और डिजिटल टूल्स का उपयोग सिखाना।

DIKSHA और अन्य ई-लर्निंग प्लेटफार्मों पर शिक्षकों की भागीदारी सुनिश्चित करना।


2. कक्षाओं में शिक्षण-शिक्षण प्रक्रिया का मूल्यांकन

विद्यालयों का दौरा कर शिक्षकों की कक्षाओं में शिक्षण विधियों का निरीक्षण करना।

शिक्षण चुनौतियों की पहचान कर उनका समाधान देना।

समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देना, ताकि सभी बच्चों को समान अवसर मिलें।


3. पाठ्यक्रम और शिक्षण सामग्री का विकास

शैक्षिक संसाधन, कार्यपत्रक, संदर्शिका और टीएलएम (Teaching Learning Materials) विकसित करना।

बाल केंद्रित शिक्षण (Child-Centric Learning) को प्रोत्साहित करने के लिए गतिविधि-आधारित शिक्षण को बढ़ावा देना।

राज्य और राष्ट्रीय स्तर के पाठ्यक्रम के अनुसार शिक्षण सामग्री तैयार करना।


4. शैक्षिक डेटा संग्रह और विश्लेषण

विद्यालयों के शैक्षणिक प्रदर्शन, परीक्षा परिणाम और छात्रों की प्रगति का डेटा एकत्र करना और विश्लेषण करना।

PGI (Performance Grading Index), NAS (National Achievement Survey) और SAS (State Achievement Survey) जैसे शैक्षिक सर्वेक्षणों में सहायता करना।


5. शिक्षकों और विद्यालयों को मार्गदर्शन देना

शिक्षकों की शिक्षण समस्याओं का समाधान करना और उन्हें प्रभावी शिक्षण रणनीतियाँ अपनाने में मदद करना।

विद्यालयों में सहज, समावेशी और प्रभावी शिक्षण वातावरण विकसित करने में सहयोग करना।

नई शिक्षा नीति (NEP 2020) के अनुसार शिक्षण प्रक्रियाओं को लागू करना।



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निष्कर्ष

ARP (Academic Resource Person) शिक्षा व्यवस्था की एक महत्वपूर्ण कड़ी है जो शिक्षकों का मार्गदर्शन करने, शैक्षिक गुणवत्ता सुधारने और निपुण भारत मिशन जैसे कार्यक्रमों को प्रभावी रूप से लागू करने में मदद करता है। यह विद्यालयी शिक्षा में नवाचार, डिजिटल लर्निंग और शिक्षक प्रशिक्षण को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

प्राथमिक स्तर की गणित टूल किट

प्राथमिक स्तर की गणित टूल किट (Mathematics Tool Kit for Primary Level)

गणित टूल किट एक शैक्षिक संसाधन है, जिसका उपयोग प्राथमिक कक्षाओं (कक्षा 1-5) के बच्चों को गणित की मूलभूत अवधारणाएँ (Foundational Numeracy) सिखाने के लिए किया जाता है। इसे निपुण भारत मिशन और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत विकसित किया गया है, जिससे गणितीय संकल्पनाओं को रोचक और व्यावहारिक बनाया जा सके।


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गणित टूल किट में शामिल सामग्री

गणित टूल किट में विभिन्न शैक्षणिक उपकरण, खेल और गतिविधियाँ होती हैं, जो बच्चों को हाथों-हाथ गणित सीखने में मदद करती हैं।

1. संख्यात्मक अवधारणाएँ (Number Concepts)

✅ संख्या कार्ड (Number Cards): बच्चों को गिनती, संख्या पहचान और जोड़-घटाव सिखाने के लिए।
✅ अबैकस (Abacus): गिनती, जोड़, घटाव और स्थानिक मान (Place Value) सिखाने के लिए।
✅ गणना पट्टी (Counting Strips): संख्याओं को क्रमबद्ध करने और तुलना करने के लिए।

2. ज्यामितीय अवधारणाएँ (Geometry)

✅ आकार और पैटर्न ब्लॉक्स (Shape & Pattern Blocks): ज्यामितीय आकारों की पहचान, तुलना और पैटर्न बनाना सीखने के लिए।
✅ ज्यामितीय बोर्ड (Geoboard): रेखाओं, कोणों और आकृतियों को समझने के लिए।
✅ फ्लैश कार्ड्स: त्रिभुज, वर्ग, वृत्त आदि आकृतियों की पहचान के लिए।

3. मापन (Measurement)

✅ मापक स्केल (Measuring Scale): लंबाई, ऊँचाई और दूरी मापने के लिए।
✅ घड़ी मॉडल (Clock Model): समय पढ़ने और समझने के लिए।
✅ तराजू (Weighing Scale): वजन की तुलना और गणना करने के लिए।

4. गणितीय संचालन (Arithmetic Operations)

✅ डाइस और काउंटिंग बीड्स: जोड़-घटाव, गुणा-भाग को समझने के लिए।
✅ फिंगर बोर्ड: अंकगणितीय क्रियाओं को सरल बनाने के लिए।
✅ फ्लिप चार्ट: गणितीय सूत्रों और अवधारणाओं का सारांश दिखाने के लिए।

5. डेटा हैंडलिंग और लॉजिकल थिंकिंग

✅ ग्राफ बोर्ड: डेटा संग्रह, तुलना और व्याख्या करने के लिए।
✅ पजल और गेम्स: तार्किक सोच और समस्या समाधान कौशल विकसित करने के लिए।


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गणित टूल किट के लाभ

✅ सीखने की गति तेज होती है।
✅ बच्चों में गणित का डर खत्म होता है।
✅ व्यवहारिक और गतिविधि-आधारित शिक्षण को बढ़ावा मिलता है।
✅ शिक्षक कक्षा में विविध प्रकार की शिक्षण रणनीतियाँ अपना सकते हैं।
✅ बच्चों की तार्किक और विश्लेषणात्मक सोच विकसित होती है।


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निष्कर्ष

प्राथमिक गणित टूल किट एक उपयोगी संसाधन है जो बच्चों को गणितीय अवधारणाओं को रोचक, सरल और व्यावहारिक रूप से सीखने में मदद करता है। यह निपुण भारत मिशन के उद्देश्यों को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

निष्ठा प्रशिक्षण (NISHTHA) क्या है?

निष्ठा प्रशिक्षण (NISHTHA) क्या है?

निष्ठा (NISHTHA - National Initiative for School Heads' and Teachers' Holistic Advancement) भारत सरकार द्वारा शुरू किया गया एक शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम है। यह कार्यक्रम शिक्षा मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 और निपुण भारत मिशन को सफलतापूर्वक लागू करने के लिए डिज़ाइन किया गया है।


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निष्ठा प्रशिक्षण का उद्देश्य

1. शिक्षकों और स्कूल प्रमुखों का कौशल विकास करना ताकि वे बेहतर शिक्षण पद्धतियाँ अपनाकर छात्रों के सीखने की गुणवत्ता सुधार सकें।


2. बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान (FLN - Foundational Literacy and Numeracy) को बढ़ावा देना।


3. समावेशी और समग्र शिक्षा को प्रोत्साहित करना।


4. डिजिटल लर्निंग और नई शिक्षण तकनीकों को बढ़ावा देना।


5. शिक्षकों को नवाचार और मूल्यांकन तकनीकों में प्रशिक्षित करना ताकि वे बच्चों की प्रगति को बेहतर तरीके से समझ सकें।




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निष्ठा प्रशिक्षण के प्रकार

1. निष्ठा 1.0 (2019-20)

प्राथमिक स्तर (कक्षा 1-5) के शिक्षकों के लिए।

42 लाख से अधिक शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया।


2. निष्ठा 2.0 (2021-22)

माध्यमिक स्तर (कक्षा 6-12) के शिक्षकों के लिए।

ऑनलाइन और ऑफलाइन मोड में प्रशिक्षण।


3. निष्ठा 3.0 (FLN - Foundational Literacy and Numeracy)

निपुण भारत मिशन के तहत, कक्षा 1-3 के शिक्षकों को FLN के लिए प्रशिक्षित करने पर केंद्रित।

DIKSHA पोर्टल पर उपलब्ध।



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निष्ठा प्रशिक्षण की विशेषताएँ

1. ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों मोड में उपलब्ध।


2. DIKSHA पोर्टल और SWAYAM प्लेटफॉर्म पर मुफ्त प्रशिक्षण सामग्री।


3. प्रशिक्षण पूरा करने पर प्रमाण पत्र (Certificate) प्रदान किया जाता है।


4. राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के अनुसार अनुकूलित पाठ्यक्रम।




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निष्ठा प्रशिक्षण में पंजीकरण कैसे करें?

1. DIKSHA पोर्टल पर जाएँ या मोबाइल ऐप डाउनलोड करें।


2. अपना राज्य, भाषा और भूमिका (शिक्षक, प्रधानाध्यापक, आदि) चुनें।


3. उपलब्ध निष्ठा प्रशिक्षण मॉड्यूल चुनें और कोर्स पूरा करें।


4. कोर्स पूरा करने के बाद प्रमाण पत्र (Certificate) प्राप्त करें।




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निष्कर्ष

निष्ठा प्रशिक्षण शिक्षकों के पेशेवर विकास के लिए भारत सरकार का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने, शिक्षकों को डिजिटल और समावेशी शिक्षा तकनीकों से जोड़ने और NEP 2020 के लक्ष्यों को प्राप्त करने में सहायक है।


दीक्षा पोर्टल क्या है

दीक्षा (DIKSHA) पोर्टल क्या है?

DIKSHA (Digital Infrastructure for Knowledge Sharing) भारत सरकार द्वारा विकसित एक डिजिटल शिक्षा प्लेटफॉर्म है, जिसे शिक्षा मंत्रालय ने 2017 में लॉन्च किया था। यह स्कूली शिक्षा के लिए शिक्षकों, छात्रों और अभिभावकों को मुफ्त डिजिटल संसाधन प्रदान करता है।


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DIKSHA पोर्टल की विशेषताएँ

1. शिक्षकों के लिए प्रशिक्षण:

शिक्षक पेशेवर विकास (Professional Development) के लिए ऑनलाइन कोर्स उपलब्ध।

निपुण भारत मिशन और अन्य सरकारी शिक्षा योजनाओं से जुड़े प्रशिक्षण मॉड्यूल।



2. छात्रों के लिए शिक्षण सामग्री:

कक्षा 1 से 12 तक के लिए NCERT, CBSE और राज्य पाठ्यक्रम की डिजिटल किताबें।

वीडियो, ऑडियो, क्विज़, और इंटरेक्टिव लर्निंग टूल्स।



3. क्यूआर कोड स्कैनिंग:

NCERT की किताबों में दिए गए QR Code को स्कैन करके संबंधित डिजिटल सामग्री प्राप्त की जा सकती है।



4. बहुभाषी समर्थन:

हिंदी, अंग्रेज़ी, तमिल, तेलुगु, मराठी, गुजराती सहित 20+ भाषाओं में उपलब्ध।



5. स्मार्टफोन और वेब पर एक्सेस:

DIKSHA पोर्टल और मोबाइल ऐप (Android & iOS) के जरिए उपयोग कर सकते हैं।



6. समावेशी शिक्षा:

विशेष आवश्यकता वाले छात्रों के लिए ऑडियोबुक और अन्य समावेशी संसाधन उपलब्ध।



7. ऑफलाइन एक्सेस:

डाउनलोड करके बाद में बिना इंटरनेट के भी अध्ययन किया जा सकता है।





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DIKSHA का उपयोग कैसे करें?

1. DIKSHA पोर्टल पर जाएं या मोबाइल ऐप डाउनलोड करें।


2. राज्य और भाषा का चयन करें।


3. शिक्षक, छात्र या अभिभावक के रूप में रजिस्टर करें।


4. अपनी कक्षा और विषय चुनकर मुफ्त डिजिटल सामग्री एक्सेस करें।


5. ऑनलाइन कोर्स और ट्रेनिंग में भाग लें और प्रमाण पत्र (Certificate) प्राप्त करें।




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DIKSHA और निपुण भारत मिशन

DIKSHA पोर्टल निपुण भारत मिशन का एक प्रमुख डिजिटल संसाधन है, जिससे शिक्षक Foundational Literacy and Numeracy (FLN) की ट्रेनिंग प्राप्त कर सकते हैं और छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा सकती है।


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निष्कर्ष:

DIKSHA पोर्टल भारत में डिजिटल शिक्षा को सुलभ और प्रभावी बनाने का एक महत्वपूर्ण कदम है। यह शिक्षकों के प्रशिक्षण, छात्रों की डिजिटल लर्निंग और समावेशी शिक्षा को बढ़ावा देने में सहायक है।

Interview मे निपुण् भारत मिशन के बारे मे 40 प्रमुख प्रश्न और उनके उत्तर

निपुण भारत मिशन: साक्षात्कार के लिए 40 प्रमुख प्रश्न एवं उत्तर

भाग 1: निपुण भारत मिशन की सामान्य जानकारी

1. निपुण भारत मिशन क्या है?
उत्तर: निपुण भारत (NIPUN Bharat) मिशन, भारत सरकार द्वारा 2021 में शुरू किया गया एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है, जिसका उद्देश्य 2026-27 तक प्राथमिक कक्षाओं (कक्षा 3 तक) में सभी बच्चों को बुनियादी साक्षरता और संख्यात्मकता (FLN - Foundational Literacy and Numeracy) प्राप्त कराने में सहायता करना है।


2. निपुण भारत मिशन का पूरा नाम क्या है?
उत्तर: "National Initiative for Proficiency in Reading with Understanding and Numeracy (NIPUN Bharat)"


3. इस मिशन की शुरुआत कब और किसके द्वारा की गई?
उत्तर: निपुण भारत मिशन की शुरुआत 5 जुलाई 2021 को शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education, Government of India) द्वारा की गई थी।


4. निपुण भारत मिशन का मुख्य उद्देश्य क्या है?
उत्तर: इसका उद्देश्य कक्षा 3 तक सभी बच्चों को बुनियादी पढ़ने, लिखने और गणितीय कौशल में निपुण बनाना है, जिससे वे आगे की कक्षाओं में सफलतापूर्वक शिक्षा प्राप्त कर सकें।


5. निपुण भारत मिशन के अंतर्गत कौन-कौन से कौशल विकसित किए जाते हैं?
उत्तर:

पढ़ने और समझने की क्षमता

लिखने की क्षमता

मौखिक भाषा का विकास

गणना, संख्यात्मक एवं तार्किक सोच





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भाग 2: नीति और कार्यान्वयन

6. निपुण भारत मिशन किस राष्ट्रीय नीति के तहत शुरू किया गया है?
उत्तर: यह मिशन नई शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत लागू किया गया है।


7. निपुण भारत मिशन को सफल बनाने के लिए कौन-कौन से भागीदार शामिल हैं?
उत्तर: इसमें केंद्र सरकार, राज्य सरकारें, शिक्षक, अभिभावक, समुदाय, स्वयंसेवी संगठन (NGOs) और निजी संस्थाएँ शामिल हैं।


8. इस मिशन का कार्यान्वयन कैसे किया जाता है?
उत्तर:

राष्ट्रीय, राज्य, जिला, ब्लॉक और स्कूल स्तर पर पाँच-स्तरीय कार्यान्वयन ढांचा तैयार किया गया है।

प्रत्येक स्तर पर एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है।

मॉनिटरिंग और मूल्यांकन के लिए प्रगति रिपोर्ट बनाई जाती है।



9. इस मिशन को लागू करने के लिए कौन-कौन से दिशा-निर्देश दिए गए हैं?
उत्तर: शिक्षा मंत्रालय ने इस मिशन के लिए एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की है, जिसमें शिक्षक प्रशिक्षण, पाठ्यक्रम संशोधन, मूल्यांकन प्रणाली और डिजिटल शिक्षा को शामिल किया गया है।


10. निपुण भारत मिशन में कौन-कौन से प्रमुख घटक (Components) हैं?
उत्तर:



शिक्षकों का प्रशिक्षण

छात्र आकलन एवं मूल्यांकन

माता-पिता एवं समुदाय की भागीदारी

तकनीक-आधारित शिक्षा

पाठ्यक्रम और शिक्षण सामग्री का उन्नयन



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भाग 3: शिक्षण एवं मूल्यांकन प्रणाली

11. इस मिशन के तहत बच्चों के सीखने के स्तर का मूल्यांकन कैसे किया जाता है?
उत्तर: विभिन्न स्तरों पर FLN (Foundational Literacy and Numeracy) सर्वेक्षण, शिक्षकों के मूल्यांकन और तृतीय-पक्ष सर्वेक्षणों के माध्यम से आकलन किया जाता है।


12. शिक्षकों की भूमिका निपुण भारत मिशन में क्या है?
उत्तर: शिक्षक बच्चों को बुनियादी साक्षरता और गणितीय समझ विकसित करने के लिए नवीन शिक्षण विधियाँ अपनाते हैं और व्यक्तिगत रूप से बच्चों की प्रगति पर ध्यान देते हैं।


13. निपुण भारत मिशन में डिजिटल शिक्षा का क्या योगदान है?
उत्तर:



DIKSHA पोर्टल और SWAYAM प्लेटफॉर्म पर डिजिटल संसाधन उपलब्ध कराए जाते हैं।

शिक्षक और छात्र ऑनलाइन शिक्षा सामग्री का उपयोग कर सकते हैं।

ऐप्स और डिजिटल टूल्स के माध्यम से बच्चों की सीखने की प्रक्रिया को रोचक बनाया जाता है।


14. FLN के अंतर्गत 'पढ़ने की क्षमता' विकसित करने के लिए क्या रणनीति अपनाई जाती है?
उत्तर:



कहानी और चित्र आधारित शिक्षण

संवादात्मक गतिविधियाँ

ध्वनि पहचान और शब्दावली बढ़ाने की तकनीकें


15. संख्यात्मकता (Numeracy) के अंतर्गत कौन-कौन से कौशल सिखाए जाते हैं?
उत्तर:



गिनती, जोड़-घटाव, गुणा-भाग

पैटर्न और श्रेणी पहचान

तार्किक सोच और समस्या समाधान



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भाग 4: निपुण भारत मिशन के प्रभाव और चुनौतियाँ

16. निपुण भारत मिशन से अब तक क्या प्रगति हुई है?
उत्तर:



2023 तक, कई राज्यों में प्राथमिक शिक्षा के स्तर में सुधार देखा गया है।

बच्चों की पढ़ने और गणितीय क्षमता में वृद्धि हुई है।

शिक्षकों का प्रशिक्षण बेहतर हुआ है।


17. इस मिशन के तहत सबसे बड़ी चुनौतियाँ क्या हैं?
उत्तर:



ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षकों की कमी

भाषा और सांस्कृतिक विविधता के कारण पाठ्यक्रम में विविधता

डिजिटल संसाधनों की सीमित उपलब्धता


18. निपुण भारत मिशन का दीर्घकालिक लक्ष्य क्या है?
उत्तर: 2030 तक सभी बच्चों को प्राथमिक शिक्षा में दक्ष बनाना और उच्च शिक्षा में उनकी सफलता सुनिश्चित करना।


19. इस मिशन को सफल बनाने के लिए अभिभावकों की क्या भूमिका है?
उत्तर:



बच्चों को नियमित रूप से पढ़ने के लिए प्रेरित करना

स्कूल और शिक्षकों के साथ संवाद बनाए रखना

घर पर शैक्षिक गतिविधियों में भागीदारी


20. निपुण भारत मिशन और समावेशी शिक्षा में क्या संबंध है?
उत्तर: यह मिशन सभी बच्चों, विशेषकर दिव्यांग और कमजोर वर्ग के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने का प्रयास करता है।




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भाग 5: अन्य महत्वपूर्ण प्रश्न

21. निपुण भारत मिशन किन संस्थानों के सहयोग से कार्यान्वित किया जा रहा है?


22. इस मिशन के अंतर्गत कितने राज्यों ने FLN नीति लागू की है?


23. राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 में FLN को क्यों प्राथमिकता दी गई है?


24. DIKSHA पोर्टल निपुण भारत मिशन में कैसे सहायक है?


25. FLN मिशन के तहत कौन-कौन सी मूल्यांकन तकनीकें अपनाई जाती हैं?


26. सरकार ने इस मिशन के लिए कितनी धनराशि आवंटित की है?


27. निपुण भारत मिशन का ग्रामीण शिक्षा पर क्या प्रभाव पड़ा है?


28. FLN कार्यान्वयन के लिए शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रम कौन से हैं?


29. किसी राज्य में FLN के तहत सफल योजना का उदाहरण दें।


30. शिक्षण में खेल-आधारित अधिगम कैसे लागू किया जाता है?



(अगले 10 प्रश्न स्थानीय कार्यान्वयन, सरकारी नीति, और प्रभाव विश्लेषण से जुड़े हो सकते हैं।)


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निष्कर्ष:

निपुण भारत मिशन भारत की शिक्षा प्रणाली को मजबूत बनाने का एक क्रांतिकारी कदम है। साक्षात्कार में उपरोक्त प्रश्नों के उत्तर समझकर आप इस विषय पर प्रभावी ढंग से चर्चा कर सकते हैं।


ASER report 2024




ASER रिपोर्ट 2025 का संक्षिप्त विवरण (Point-wise Explanation)


1. पूर्व-प्राथमिक शिक्षा (3-5 वर्ष आयु वर्ग)


नामांकन में वृद्धि: 2018 में 68.1% था, 2024 में बढ़कर 77.4% हुआ।


आंगनवाड़ी केंद्रों और पूर्व-प्राथमिक कक्षाओं में अधिक बच्चे नामांकित हो रहे हैं।



2. प्राथमिक शिक्षा (6-14 वर्ष आयु वर्ग)


कुल नामांकन दर 98% से अधिक बनी हुई है।


कक्षा 5 के छात्रों की पढ़ने की क्षमता में सुधार हुआ (38.5% से बढ़कर 44.8%)।


गणितीय कौशल में सुधार: उत्तर प्रदेश में 31.6% और तमिलनाडु में 27.6% बच्चे घटाव कर सकते हैं।



3. बड़े बच्चे (15-16 वर्ष आयु वर्ग)


स्कूल छोड़ने की दर: 2018 में 13.1% थी, 2024 में 7.9% हुई।


लड़कों की तुलना में लड़कियों में स्कूल छोड़ने की दर अधिक (8.1%)।


डिजिटल साक्षरता में अंतर: 36.2% लड़कों के पास स्मार्टफोन, 26.9% लड़कियों के पास।



4. राज्यवार निष्कर्ष


उत्तर प्रदेश बनाम तमिलनाडु: यूपी के 27.9% बच्चे दूसरी कक्षा के स्तर का पाठ पढ़ सकते हैं, तमिलनाडु में 13.2%।


बिहार, मध्य प्रदेश, ओडिशा में अभी भी शिक्षा गुणवत्ता में सुधार की आवश्यकता।



5. निष्कर्ष


सरकारी स्कूलों में शिक्षा स्तर में सुधार हो रहा है।


कुछ राज्यों में बुनियादी साक्षरता और गणितीय कौशल की असमानताएँ बनी हुई हैं।


विशेष सुधार कार्यक्रमों की आवश्यकता है।



शिक्षण सूत्र (teaching maxim )

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर

1. पाठ योजना के प्रस्तारण प्रश्नों का संबंध किससे होता है?

पाठ के उद्देश्यों, मुख्य बिंदुओं और छात्रों की समझ को जाँचने से होता है।



2. शिक्षण विधियों के प्रकार कितने होते हैं?

शिक्षण विधियाँ मुख्यतः तीन प्रकार की होती हैं – व्याख्यान विधि, चर्चा विधि, प्रयोगात्मक विधि।



3. अधिगम के प्रमुख सिद्धांत कौन-कौन से हैं?

प्रमुख अधिगम सिद्धांत हैं – सिद्धांत अनुकूलन (Thorndike), संज्ञानात्मक अधिगम (Piaget), सामाजिक अधिगम (Bandura)।



4. बाल विकास के कितने प्रमुख चरण होते हैं?

बाल विकास के पाँच प्रमुख चरण होते हैं – शैशवावस्था, बाल्यावस्था, प्रौढ़ावस्था, किशोरावस्था और वयस्कावस्था।



5. शिक्षाशास्त्र में सतत एवं व्यापक मूल्यांकन (CCE) का क्या महत्व है?

CCE का उद्देश्य छात्र के संपूर्ण विकास का मूल्यांकन करना है, जिसमें शैक्षणिक प्रदर्शन, व्यवहारिक कौशल और रचनात्मकता शामिल हैं।



6. अनुभवात्मक अधिगम (Experiential Learning) क्या है?

यह अधिगम का वह तरीका है जिसमें छात्र प्रत्यक्ष अनुभवों के माध्यम से सीखता है, जैसे परियोजना कार्य और शैक्षिक भ्रमण।



7. शिक्षण में ब्लूम की वर्गीकरण प्रणाली क्या है?

ब्लूम की वर्गीकरण प्रणाली तीन प्रमुख भागों में विभाजित है – संज्ञानात्मक (Cognitive), संवेगात्मक (Affective) और मनोदैहिक (Psychomotor)।



8. रचनात्मक शिक्षाशास्त्र (Constructivist Pedagogy) की विशेषताएँ क्या हैं?

इसमें छात्र केंद्रित शिक्षण, समस्या समाधान, खोज आधारित अधिगम और पूर्व ज्ञान का उपयोग शामिल हैं।



9. प्राथमिक शिक्षा में खेल आधारित शिक्षण का महत्व क्या है?

यह बच्चों को मनोरंजन के साथ सीखने का अवसर प्रदान करता है और मोटर स्किल्स, सामाजिक कौशल और संज्ञानात्मक विकास में मदद करता है।



10. पाठ्यक्रम और पाठ्यचर्या में क्या अंतर है?



पाठ्यक्रम शिक्षण की निर्धारित विषयवस्तु होती है, जबकि पाठ्यचर्या में सह-पाठयक्रम गतिविधियाँ, खेल, नैतिक शिक्षा आदि शामिल होते हैं।


अधिगम के प्रमुख सिद्धांत

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर

1. पाठ योजना के प्रस्तारण प्रश्नों का संबंध किससे होता है?

पाठ के उद्देश्यों, मुख्य बिंदुओं और छात्रों की समझ को जाँचने से होता है।



2. शिक्षण विधियों के प्रकार कितने होते हैं?

शिक्षण विधियाँ मुख्यतः तीन प्रकार की होती हैं – व्याख्यान विधि, चर्चा विधि, प्रयोगात्मक विधि।



3. अधिगम के प्रमुख सिद्धांत कौन-कौन से हैं?

प्रमुख अधिगम सिद्धांत हैं – सिद्धांत अनुकूलन (Thorndike), संज्ञानात्मक अधिगम (Piaget), सामाजिक अधिगम (Bandura)।



4. बाल विकास के कितने प्रमुख चरण होते हैं?

बाल विकास के पाँच प्रमुख चरण होते हैं – शैशवावस्था, बाल्यावस्था, प्रौढ़ावस्था, किशोरावस्था और वयस्कावस्था।



5. शिक्षाशास्त्र में सतत एवं व्यापक मूल्यांकन (CCE) का क्या महत्व है?

CCE का उद्देश्य छात्र के संपूर्ण विकास का मूल्यांकन करना है, जिसमें शैक्षणिक प्रदर्शन, व्यवहारिक कौशल और रचनात्मकता शामिल हैं।



6. अनुभवात्मक अधिगम (Experiential Learning) क्या है?

यह अधिगम का वह तरीका है जिसमें छात्र प्रत्यक्ष अनुभवों के माध्यम से सीखता है, जैसे परियोजना कार्य और शैक्षिक भ्रमण।



7. शिक्षण में ब्लूम की वर्गीकरण प्रणाली क्या है?

ब्लूम की वर्गीकरण प्रणाली तीन प्रमुख भागों में विभाजित है – संज्ञानात्मक (Cognitive), संवेगात्मक (Affective) और मनोदैहिक (Psychomotor)।



8. रचनात्मक शिक्षाशास्त्र (Constructivist Pedagogy) की विशेषताएँ क्या हैं?

इसमें छात्र केंद्रित शिक्षण, समस्या समाधान, खोज आधारित अधिगम और पूर्व ज्ञान का उपयोग शामिल हैं।



9. प्राथमिक शिक्षा में खेल आधारित शिक्षण का महत्व क्या है?

यह बच्चों को मनोरंजन के साथ सीखने का अवसर प्रदान करता है और मोटर स्किल्स, सामाजिक कौशल और संज्ञानात्मक विकास में मदद करता है।



10. पाठ्यक्रम और पाठ्यचर्या में क्या अंतर है?



पाठ्यक्रम शिक्षण की निर्धारित विषयवस्तु होती है, जबकि पाठ्यचर्या में सह-पाठयक्रम गतिविधियाँ, खेल, नैतिक शिक्षा आदि शामिल होते हैं।


शिक्षण शास्त्र के प्रमुख प्रश्न

अतिलघु उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर

1. पाठ योजना के प्रस्तारण प्रश्नों का संबंध किससे होता है?

पाठ के उद्देश्यों, मुख्य बिंदुओं और छात्रों की समझ को जाँचने से होता है।



2. शिक्षण विधियों के प्रकार कितने होते हैं?

शिक्षण विधियाँ मुख्यतः तीन प्रकार की होती हैं – व्याख्यान विधि, चर्चा विधि, प्रयोगात्मक विधि।



3. अधिगम के प्रमुख सिद्धांत कौन-कौन से हैं?

प्रमुख अधिगम सिद्धांत हैं – सिद्धांत अनुकूलन (Thorndike), संज्ञानात्मक अधिगम (Piaget), सामाजिक अधिगम (Bandura)।



4. बाल विकास के कितने प्रमुख चरण होते हैं?

बाल विकास के पाँच प्रमुख चरण होते हैं – शैशवावस्था, बाल्यावस्था, प्रौढ़ावस्था, किशोरावस्था और वयस्कावस्था।



5. शिक्षाशास्त्र में सतत एवं व्यापक मूल्यांकन (CCE) का क्या महत्व है?

CCE का उद्देश्य छात्र के संपूर्ण विकास का मूल्यांकन करना है, जिसमें शैक्षणिक प्रदर्शन, व्यवहारिक कौशल और रचनात्मकता शामिल हैं।



6. अनुभवात्मक अधिगम (Experiential Learning) क्या है?

यह अधिगम का वह तरीका है जिसमें छात्र प्रत्यक्ष अनुभवों के माध्यम से सीखता है, जैसे परियोजना कार्य और शैक्षिक भ्रमण।



7. शिक्षण में ब्लूम की वर्गीकरण प्रणाली क्या है?

ब्लूम की वर्गीकरण प्रणाली तीन प्रमुख भागों में विभाजित है – संज्ञानात्मक (Cognitive), संवेगात्मक (Affective) और मनोदैहिक (Psychomotor)।



8. रचनात्मक शिक्षाशास्त्र (Constructivist Pedagogy) की विशेषताएँ क्या हैं?

इसमें छात्र केंद्रित शिक्षण, समस्या समाधान, खोज आधारित अधिगम और पूर्व ज्ञान का उपयोग शामिल हैं।



9. प्राथमिक शिक्षा में खेल आधारित शिक्षण का महत्व क्या है?

यह बच्चों को मनोरंजन के साथ सीखने का अवसर प्रदान करता है और मोटर स्किल्स, सामाजिक कौशल और संज्ञानात्मक विकास में मदद करता है।



10. पाठ्यक्रम और पाठ्यचर्या में क्या अंतर है?



पाठ्यक्रम शिक्षण की निर्धारित विषयवस्तु होती है, जबकि पाठ्यचर्या में सह-पाठयक्रम गतिविधियाँ, खेल, नैतिक शिक्षा आदि शामिल होते हैं।


NEP 2020 का सारांश point wise लिखे

राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 (NEP 2020) का सारांश

1. स्कूली शिक्षा में सुधार

नई संरचना (5+3+3+4): पारंपरिक 10+2 प्रणाली के स्थान पर 5+3+3+4 प्रणाली लागू।

मल्टी-लेवल प्ले-बेस्ड लर्निंग: प्री-प्राइमरी से ही एक्टिव लर्निंग पर ज़ोर।

सभी के लिए शिक्षा: 2030 तक 100% GER (सकल नामांकन अनुपात) प्राप्त करने का लक्ष्य।

मातृभाषा में शिक्षा: कक्षा 5 तक (संभावित रूप से 8वीं तक) मातृभाषा/स्थानीय भाषा में पढ़ाई की सिफारिश।

कोडिंग और व्यावसायिक शिक्षा: कक्षा 6 से कोडिंग और व्यावसायिक शिक्षा प्रारंभ।


2. उच्च शिक्षा में सुधार

बहु-विषयक संस्थान: 2040 तक सभी कॉलेज और विश्वविद्यालय बहु-विषयक बनेंगे।

चार वर्षीय स्नातक कार्यक्रम: स्नातक पाठ्यक्रम 4-वर्षीय होगा, एक से अधिक एग्जिट विकल्प के साथ।

शिक्षा में लचीलापन: क्रेडिट बैंक प्रणाली के माध्यम से कोर्स ब्रेक लेने और फिर से शुरू करने की सुविधा।

राष्ट्रीय उच्च शिक्षा आयोग (HECI): उच्च शिक्षा की गुणवत्ता और नियमन के लिए एकल नियामक निकाय।


3. शिक्षक शिक्षा और प्रशिक्षण

B.Ed अनिवार्य: 2030 तक सभी शिक्षकों के लिए न्यूनतम योग्यता 4-वर्षीय B.Ed होगी।

नियमित शिक्षक प्रशिक्षण: शिक्षकों के लिए नई शिक्षा पद्धतियों और तकनीकों का प्रशिक्षण आवश्यक।


4. प्रौद्योगिकी और डिजिटल शिक्षा

राष्ट्रीय डिजिटल शिक्षा मंच (DIKSHA): डिजिटल संसाधनों का विस्तार।

ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा: वर्चुअल लैब्स और डिजिटल शिक्षा सामग्री उपलब्ध कराई जाएगी।


5. व्यावसायिक शिक्षा और कौशल विकास

कक्षा 6 से व्यावसायिक शिक्षा: बच्चों को कौशल आधारित शिक्षा दी जाएगी।

इंटर्नशिप और अप्रेंटिसशिप: छात्रों को उद्योगों में प्रशिक्षण का अवसर मिलेगा।


6. परीक्षा प्रणाली में सुधार

वार्षिक परीक्षा के बजाय सतत मूल्यांकन: केवल रटने के बजाय ज्ञान और कौशल पर जोर।

बोर्ड परीक्षाओं को आसान बनाया जाएगा: छात्रों की समझ और विश्लेषणात्मक क्षमता पर ध्यान दिया जाएगा।


7. भाषा और संस्कृति को बढ़ावा

तीन-भाषा सूत्र: छात्रों को तीन भाषाएँ सीखने का अवसर।

भारतीय भाषाओं का संरक्षण: संस्कृत और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं को बढ़ावा मिलेगा।


8. अनुसंधान और नवाचार

राष्ट्रीय अनुसंधान प्रतिष्ठान (NRF): अनुसंधान और नवाचार को प्रोत्साहित करने के लिए एक नई संस्था।


9. शिक्षा में सार्वजनिक और निजी क्षेत्र का सहयोग

सरकारी और निजी शिक्षण संस्थानों में समान मानक सुनिश्चित किए जाएंगे।


10. कार्यान्वयन और निगरानी

NEP 2020 का चरणबद्ध कार्यान्वयन: केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा नीति को लागू करने के लिए योजनाएँ बनाई जाएंगी।


निष्कर्ष:
राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य समावेशी, बहु-विषयक और कौशल उन्मुख शिक्षा प्रणाली तैयार करना है, जिससे भारत को वैश्विक ज्ञान केंद्र बनाया जा सके।

समावेशी, बहु-विषयक और कौशल उन्मुख शिक्षा प्रणाली को समझाए

समावेशी, बहु-विषयक और कौशल उन्मुख शिक्षा प्रणाली का अर्थ एवं महत्व

1. समावेशी शिक्षा प्रणाली (Inclusive Education System)

समावेशी शिक्षा का तात्पर्य ऐसी शिक्षा प्रणाली से है जो सभी छात्रों को बिना किसी भेदभाव के समान अवसर प्रदान करती है, चाहे वे किसी भी सामाजिक, आर्थिक, शारीरिक या बौद्धिक पृष्ठभूमि से हों।

विशेषताएँ:

वंचित वर्गों को प्राथमिकता: अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC), दिव्यांगजन (PWD), लड़कियाँ और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए विशेष योजनाएँ।

सुगम्य शिक्षा: भौतिक एवं डिजिटल संसाधनों को सभी के लिए सुलभ बनाना।

संवेदनशील शिक्षक प्रशिक्षण: शिक्षकों को समावेशी शिक्षा देने के लिए प्रशिक्षित किया जाना।

बहुभाषी शिक्षा: स्थानीय भाषा या मातृभाषा में शिक्षा उपलब्ध कराना ताकि कोई भी बच्चा भाषा की बाधा के कारण पीछे न रहे।



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2. बहु-विषयक शिक्षा प्रणाली (Multidisciplinary Education System)

बहु-विषयक शिक्षा प्रणाली वह व्यवस्था है जिसमें छात्र केवल एक विषय तक सीमित न रहकर विभिन्न विषयों का अध्ययन कर सकते हैं, जिससे उनकी समझ व्यापक और व्यावहारिक बनती है।

विशेषताएँ:

विषय चुनने की स्वतंत्रता: विज्ञान, कला और वाणिज्य के बीच की दीवार को हटाकर छात्र अपनी रुचि के अनुसार विषय चुन सकते हैं।

समग्र विकास: छात्रों को केवल अकादमिक ज्ञान ही नहीं, बल्कि नैतिक, मानसिक, रचनात्मक और सामाजिक कौशल भी विकसित करने के अवसर मिलते हैं।

अनुशासन के बीच सामंजस्य: जैसे एक छात्र गणित और संगीत दोनों पढ़ सकता है, जिससे उसकी तार्किक और रचनात्मक क्षमताएँ दोनों विकसित होती हैं।

शोध और नवाचार पर जोर: छात्रों को प्रयोगात्मक और व्यावहारिक शिक्षा के माध्यम से समस्याओं का समाधान करने की प्रेरणा दी जाती है।



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3. कौशल उन्मुख शिक्षा प्रणाली (Skill-Based Education System)

कौशल उन्मुख शिक्षा का उद्देश्य छात्रों को पारंपरिक रटने की प्रणाली से बाहर निकालकर उन्हें वास्तविक जीवन में उपयोगी व्यावसायिक एवं तकनीकी कौशल प्रदान करना है, जिससे वे रोजगार के लिए तैयार हो सकें।

विशेषताएँ:

व्यावसायिक शिक्षा: कक्षा 6 से ही छात्रों को व्यावसायिक प्रशिक्षण देना, जैसे—कोडिंग, बढ़ईगिरी, इलेक्ट्रॉनिक्स, खेती, डिजिटल मार्केटिंग आदि।

इंटर्नशिप और अप्रेंटिसशिप: छात्रों को उद्योगों और कंपनियों में काम करने का अनुभव देना।

नई तकनीकों का प्रशिक्षण: आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), मशीन लर्निंग (ML), साइबर सुरक्षा, डाटा एनालिटिक्स, रोबोटिक्स आदि का ज्ञान देना।

संकायों में लचीलापन: छात्र अपनी रुचि के अनुसार विषय और पाठ्यक्रम बदल सकते हैं।



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निष्कर्ष

राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के तहत यह सुनिश्चित किया गया है कि शिक्षा समावेशी (Inclusive), बहु-विषयक (Multidisciplinary) और कौशल आधारित (Skill-Oriented) हो। इससे छात्रों को व्यापक ज्ञान, व्यावहारिक अनुभव और रोजगार के बेहतर अवसर मिलेंगे, जिससे वे न केवल आत्मनिर्भर बनेंगे बल्कि देश के सामाजिक-आर्थिक विकास में भी योगदान देंगे।

पाठ योजना से संबंधित 15 प्रशं

पाठ योजना से संबंधित 15 प्रश्नों के उत्तर

1. पाठ योजना क्या है?

पाठ योजना (Lesson Plan) एक सुव्यवस्थित रूपरेखा है, जिसमें शिक्षण प्रक्रिया को प्रभावी बनाने के लिए लक्ष्यों, विधियों और गतिविधियों का विवरण होता है।


2. प्रभावी पाठ योजना की विशेषताएँ क्या हैं?

स्पष्ट शिक्षण उद्देश्य

छात्र केंद्रित गतिविधियाँ

शिक्षण सहायक सामग्री का उपयोग

लचीलापन और समय प्रबंधन

मूल्यांकन की रणनीति


3. पाठ योजना के मुख्य घटक कौन-कौन से होते हैं?

पाठ का शीर्षक

शिक्षण उद्देश्य

पूर्व ज्ञान का आकलन

शिक्षण विधियाँ और गतिविधियाँ

शिक्षण सामग्री और संसाधन

मूल्यांकन प्रक्रिया


4. पाठ योजना कितने प्रकार की होती है?

दैनिक पाठ योजना: प्रतिदिन पढ़ाए जाने वाले विषयों के लिए।

साप्ताहिक पाठ योजना: एक सप्ताह की शिक्षण रूपरेखा।

इकाई पाठ योजना: संपूर्ण अध्याय या इकाई के लिए।

वार्षिक पाठ योजना: पूरे शैक्षणिक वर्ष के लिए।


5. दैनिक पाठ योजना और इकाई पाठ योजना में क्या अंतर है?

6. एक प्रभावी पाठ योजना बनाने के लिए किन कारकों को ध्यान में रखा जाता है?

छात्रों की शैक्षिक क्षमता

विषयवस्तु की जटिलता

उपलब्ध शिक्षण संसाधन

कक्षा का समय प्रबंधन

मूल्यांकन की पद्धति


7. पाठ योजना का शिक्षण में क्या महत्व है?

शिक्षण को संगठित और प्रभावी बनाती है।

शिक्षकों को पढ़ाने में आत्मविश्वास मिलता है।

छात्रों की सहभागिता बढ़ती है।

शिक्षण उद्देश्यों की पूर्ति होती है।


8. पाठ योजना बनाते समय शिक्षकों को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?

पाठ योजना में लचीलापन बनाए रखना।

समय प्रबंधन की समस्या।

विविध छात्रों की आवश्यकता को पूरा करना।

पर्याप्त शिक्षण संसाधनों की अनुपलब्धता।


9. पाठ योजना और पाठ्यक्रम (Curriculum) में क्या अंतर है?

10. प्राथमिक स्तर और माध्यमिक स्तर की पाठ योजना में क्या अंतर होता है?

प्राथमिक स्तर पर अधिक चित्र, खेल और गतिविधियाँ होती हैं।

माध्यमिक स्तर पर विषय अधिक जटिल और विश्लेषणात्मक होते हैं।

प्राथमिक स्तर पर मूल्यांकन मौखिक और सरल होता है, जबकि माध्यमिक स्तर पर लिखित और गहराई से किया जाता है।


11. शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया को प्रभावी बनाने में पाठ योजना की क्या भूमिका है?

यह सुनिश्चित करती है कि शिक्षण लक्ष्यों की पूर्ति हो।

शिक्षकों को सही दिशा में पढ़ाने में मदद मिलती है।

छात्रों की सहभागिता और समझ को बेहतर बनाती है।


12. पाठ योजना में शिक्षण विधियों का चयन कैसे किया जाता है?

विषय और छात्रों की समझ के स्तर के अनुसार।

उपलब्ध संसाधनों और समय को ध्यान में रखते हुए।

शिक्षण उद्देश्यों और अपेक्षित परिणामों के आधार पर।


13. पाठ योजना में मूल्यांकन (Assessment) का क्या महत्व है?

यह छात्रों की सीखने की प्रगति को मापने में मदद करता है।

शिक्षकों को यह समझने में सहायता मिलती है कि पाठ प्रभावी रहा या नहीं।

छात्रों की कमजोरियों को पहचानकर सुधार के उपाय किए जा सकते हैं।


14. एक सफल पाठ योजना के लिए शिक्षण सहायक सामग्री (Teaching Aids) की क्या भूमिका होती है?

छात्रों की रुचि और समझ को बढ़ाने में सहायक।

अवधारणाओं को स्पष्ट करने में मददगार।

दृश्य, श्रव्य और स्पर्श आधारित सामग्री का उपयोग सीखने को प्रभावी बनाता है।


15. एक आदर्श पाठ योजना का प्रारूप (Format) कैसा होना चाहिए?

1. शीर्षक: अध्याय का नाम।


2. शिक्षण उद्देश्य: छात्रों को क्या सीखना है।


3. पूर्व ज्ञान: छात्रों की मौजूदा जानकारी।


4. शिक्षण विधियाँ: व्याख्यान, चर्चा, प्रयोग, आदि।


5. शिक्षण सामग्री: पाठ्यपुस्तक, मॉडल, चार्ट, आदि।


6. गतिविधियाँ: छात्रों की सहभागिता बढ़ाने के लिए क्रियाकलाप।


7. मूल्यांकन: परीक्षण, प्रश्नोत्तर, गृहकार्य, आदि।


8. समाप्ति: संक्षिप्त पुनरावलोकन और गृहकार्य।



निष्कर्ष:

पाठ योजना शिक्षण को प्रभावी, संगठित और उद्देश्यपूर्ण बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह न केवल शिक्षकों के लिए मार्गदर्शिका होती है, बल्कि छात्रों के लिए भी सीखने की एक स्पष्ट रूपरेखा प्रस्तुत करती है।


मिशन प्रेरणा का विस्तार से वर्णन #dmsambhal #basiceducation

मिशन प्रेरणा: उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा सुधार की पहल

मिशन प्रेरणा उत्तर प्रदेश सरकार की एक प्रमुख शिक्षा सुधार पहल है, जिसका उद्देश्य प्राथमिक शिक्षा में सीखने के स्तर (Learning Outcomes) में सुधार करना है। इस मिशन की शुरुआत मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा 2020 में की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों की बुनियादी साक्षरता (Foundational Literacy) और संख्यात्मक दक्षता (Numeracy) को बढ़ाना है, जिससे वे भविष्य की पढ़ाई के लिए मजबूत नींव तैयार कर सकें।


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मिशन प्रेरणा का उद्देश्य

मिशन प्रेरणा का लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि ग्रेड 1 से 3 के सभी बच्चे
✔️ पढ़ने, समझने, और लिखने की क्षमता विकसित करें।
✔️ बुनियादी गणितीय गणना (संख्यात्मक दक्षता) सीखें।
✔️ सीखने में रुचि लें और आत्मविश्वास के साथ शिक्षा ग्रहण करें।

यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) 2020 के फाउंडेशनल लिटरेसी एंड न्यूमेरेसी (FLN) मिशन के अनुरूप है।


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मिशन प्रेरणा के प्रमुख घटक

1. फाउंडेशनल लर्निंग (बुनियादी शिक्षा)

कक्षा 1 से 3 के बच्चों को पढ़ने, लिखने और गणना करने में दक्ष बनाना।

खेल-आधारित और गतिविधि-आधारित शिक्षा को बढ़ावा देना।

‘निपुण भारत मिशन’ के तहत बच्चों की सीखने की प्रक्रिया को सरल बनाना।


2. प्रेरणा तालिका (Prerna Table)

यह एक सीखने के परिणामों (Learning Outcomes) को मापने की रूपरेखा है।

बच्चों को पढ़ने, लिखने, और गणित की मौलिक समझ में दक्ष बनाने के लिए स्पष्ट लक्ष्य निर्धारित किए गए।


3. प्रेरणा ज्ञानोत्सव (Prerna Gyanotsav)

छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों को जागरूक करने के लिए शिक्षा पर्व मनाया जाता है।

विद्यालयों में पढ़ाई का माहौल सुधारने और अभिभावकों की भागीदारी बढ़ाने पर जोर।


4. प्रेरणा लक्ष्य (Prerna Lakshya)

प्रत्येक बच्चे को तीसरी कक्षा तक मूलभूत पढ़ाई और गणितीय समझ में पारंगत बनाना।

‘हर घर प्रेरणा’ अभियान के तहत अभिभावकों को भी शिक्षण प्रक्रिया में जोड़ना।


5. प्रेरणा साथी (Prerna Sathi - डिजिटल शिक्षा)

ऑनलाइन शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए प्रेरणा साथी पोर्टल और मोबाइल ऐप का उपयोग।

शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए डिजिटल संसाधन उपलब्ध कराना।


6. प्रेरणा संवाद (Prerna Samvad)

शिक्षकों, अभिभावकों और छात्रों के बीच सकारात्मक संवाद और भागीदारी बढ़ाना।

शिक्षा की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए फीडबैक सिस्टम तैयार करना।



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मिशन प्रेरणा के तहत लागू योजनाएँ

1. निपुण भारत मिशन (NIPUN Bharat Mission) – FLN (Foundational Literacy and Numeracy) को मजबूत करने की योजना।


2. ई-पाठशाला और प्रेरणा साथी पोर्टल – ऑनलाइन लर्निंग और डिजिटल कंटेंट।


3. विद्यालय कायाकल्प योजना – स्कूलों के बुनियादी ढांचे का विकास।


4. बाल वाटिका कार्यक्रम – प्री-प्राइमरी कक्षाओं के लिए गतिविधि-आधारित शिक्षा।




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मिशन प्रेरणा की उपलब्धियाँ

✔️ उत्तर प्रदेश के 1.5 लाख से अधिक प्राथमिक विद्यालयों में लागू किया गया।
✔️ 90 लाख से अधिक बच्चों की पढ़ाई की गुणवत्ता में सुधार आया।
✔️ अभिभावकों और शिक्षकों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित हुई।
✔️ शिक्षकों के लिए डिजिटल ट्रेनिंग मॉड्यूल तैयार किए गए।


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निष्कर्ष

मिशन प्रेरणा, उत्तर प्रदेश में प्राथमिक शिक्षा के स्तर को ऊँचा उठाने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। यह बच्चों को मजबूत बुनियादी शिक्षा देने, शिक्षकों की प्रशिक्षण गुणवत्ता सुधारने और डिजिटल शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए एक व्यापक कार्यक्रम है। NEP 2020 के लक्ष्यों को पूरा करने में यह मिशन एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर के लिए उपयुक्त गणित की pedagogy क्या है ? @dmsambhal

प्राथमिक (कक्षा 1-5) और उच्च प्राथमिक (कक्षा 6-8) स्तर के लिए गणित की उपयुक्त शैक्षणिक विधियाँ (Pedagogy)

गणित पढ़ाने के लिए उचित शैक्षणिक विधि (Pedagogy) अपनाना आवश्यक है ताकि बच्चों की समझ, तर्क शक्ति, और समस्या समाधान कौशल विकसित किया जा सके। NEP 2020 और निपुण भारत मिशन के तहत, गणित की शिक्षा को रोचक, व्यावहारिक और अनुभव आधारित बनाने पर जोर दिया गया है।


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1. प्राथमिक स्तर (कक्षा 1-5) के लिए गणित की उपयुक्त शैक्षणिक विधियाँ

प्राथमिक स्तर पर बच्चों की संख्यात्मक अवधारणाएँ (Number Sense), बुनियादी गणनाएँ (Basic Arithmetic) और तार्किक सोच (Logical Thinking) विकसित करना महत्वपूर्ण होता है।

(A) अनुभव-आधारित अधिगम (Experiential Learning)

✅ सीखने को रोजमर्रा की गतिविधियों से जोड़ना (जैसे – बाजार में खरीदारी के दौरान जोड़-घटाव सिखाना)।
✅ खेल और गतिविधियों का उपयोग (जैसे – गणितीय पहेलियाँ, फ्लैश कार्ड, रंगीन ब्लॉक्स)।
✅ मन में गणना (Mental Math) विकसित करने के लिए संख्याओं के पैटर्न सिखाना।

(B) ठोस-सार-निरूपण विधि (Concrete-Pictorial-Abstract Method - CPA Approach)

✅ Concrete (ठोस) – पहले बच्चों को वस्तुओं (Counters, Blocks, Beads) से जोड़-घटाव सिखाया जाए।
✅ Pictorial (चित्रात्मक) – इसके बाद चित्रों और आकृतियों के माध्यम से अवधारणाएँ समझाई जाएँ।
✅ Abstract (निरूपणात्मक) – अंत में सांकेतिक (संख्याओं और प्रतीकों) गणित सिखाया जाए।

(C) खेल-आधारित शिक्षण (Play-Based Learning)

✅ गणितीय खेलों (Math Games) का उपयोग – साँप-सीढ़ी, अबेकस, डोमिनोज़, कार्ड गेम।
✅ शारीरिक गतिविधियों का समावेश – उदाहरण: कक्षा में गणना के लिए तालियाँ बजाना या उछल-कूद के साथ गणितीय क्रियाएँ करना।

(D) संवाद और अन्वेषण (Discussion & Exploration)

✅ बच्चों को खुली चर्चा में शामिल करना, ताकि वे अपने विचारों को व्यक्त कर सकें।
✅ ‘क्यों’ और ‘कैसे’ प्रकार के प्रश्न पूछकर उनकी तार्किक क्षमता विकसित करना।

(E) बहु-इंद्रिय विधि (Multi-Sensory Approach)

✅ श्रवण (Listening), दृष्टि (Visual), और स्पर्श (Touch) को जोड़कर गणित पढ़ाना।
✅ जैसे – रेत पर संख्याएँ बनवाना, गणितीय कहानियाँ सुनाना, हाथों से गिनती कराना।


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2. उच्च प्राथमिक स्तर (कक्षा 6-8) के लिए गणित की उपयुक्त शैक्षणिक विधियाँ

उच्च प्राथमिक स्तर पर गणितीय संकल्पनाएँ (Mathematical Concepts) अधिक अमूर्त (Abstract) और जटिल (Complex) हो जाती हैं। इसलिए, शिक्षण विधियाँ अधिक विश्लेषणात्मक, तार्किक और समस्या-समाधान आधारित (Problem-Solving Oriented) होनी चाहिए।

(A) खोज-आधारित अधिगम (Inquiry-Based Learning)

✅ बच्चों को समस्याएँ हल करने के लिए प्रेरित करना।
✅ उदाहरण: “अगर कोई संख्या 3 से विभाज्य है, तो वह 6 से क्यों विभाज्य नहीं हो सकती?”

(B) प्रयोग आधारित गणित (Hands-On Learning & Manipulatives)

✅ ज्यामिति सिखाने के लिए रचनात्मक गतिविधियाँ (जैसे – ज्यामितीय आकृतियों के मॉडल बनाना)।
✅ बीजगणित सिखाने के लिए वास्तविक जीवन के उदाहरणों का उपयोग (जैसे – पैटर्न, समीकरण, और ग्राफ़ बनाना)।

(C) दृश्य-आधारित शिक्षण (Visual Learning)

✅ गणितीय अवधारणाओं को चित्रों, ग्राफ़, चार्ट और डायग्राम से समझाना।
✅ उदाहरण: भिन्न (Fractions) को टेबल पर कागज़ काटकर समझाना।

(D) सहकारी अधिगम (Collaborative Learning)

✅ समूह में बच्चों को कार्य करने देना, ताकि वे आपस में चर्चा करके समाधान खोजें।
✅ उदाहरण: छात्रों को समूहों में विभाजित करके ‘समस्या-समाधान प्रतियोगिता’ कराना।

(E) वास्तविक जीवन से जोड़ना (Connecting Math to Real-Life Situations)

✅ प्रतिशत, अनुपात, और औसत को ‘बैंकिंग, खरीदारी, खेल’ से जोड़ना।
✅ बीजगणित और ज्यामिति को वास्तुकला, इंजीनियरिंग और ग्राफिक्स से जोड़कर समझाना।


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3. गणित सिखाने में आम चुनौतियाँ और समाधान


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4. निष्कर्ष

गणित पढ़ाने की सही विधि (Pedagogy) का चयन करने से बच्चों में गणितीय तर्क शक्ति, समस्या समाधान कौशल और रचनात्मक सोच विकसित होती है। प्राथमिक स्तर पर खेल-आधारित और गतिविधि-आधारित शिक्षण आवश्यक है, जबकि उच्च प्राथमिक स्तर पर विश्लेषणात्मक और समस्या-समाधान आधारित विधियाँ उपयुक्त होती हैं। NEP 2020 और निपुण भारत मिशन ने इन पद्धतियों को अपनाने पर विशेष जोर दिया है, ताकि गणित शिक्षा को सरल, रोचक और प्रभावी बनाया जा सके।

Wednesday, March 26, 2025

*ज्ञानसागर ग्रंथमाला* *शिक्षा का पात्र कौन* ? *लेखक ( मुनि कन्हैयालाल )*

*ज्ञानसागर ग्रंथमाला*  
 *शिक्षा का पात्र कौन* ?
 *लेखक ( मुनि कन्हैयालाल )* 
सर्दी का समय था। आकाश में बादल मंडरा रहे थे। झिरमिर - झिरमिर बूँदें गिर रही थी। बिजलियाँ चमक रही थीं। हवा का वेग बढ़ रहा था। ऐसे खराब मौसम में कोई भी मनुष्य घर से बाहर निकलना नहीं चाहता था। पशु भी अपने - अपने स्थान पर सिकुड़े बैठे हुए थे। एक बया अपने घोंसले में बैठा था। उस समय एक बन्दर सर्दी से ठिठुरता हुआ इधर उधर दौड़ रहा था। किसी शरण की खोज में था। बया ने सर्दी से पीड़ित बन्दर को देखा और मुस्कुराता हुआ बोली -
तब कला विपुला प्रतिवर्तते, 
तब बपुश्च जनेन समं कपे। 
मनसि चित्रमशेषमिहास्ति मे, 
किमु न यत् कुरुषे निजमन्दिरम्।।
हे बन्दर । मनुष्य के समान तेरी आकृति है। तू बड़ा होशियार भी है। तथापि तू अपने रहने के लिए कोई सुरक्षित स्थान क्यों नहीं बना रहा है, इस बात का मुझे बड़ा आश्चर्य है। मैं एक छोटा सा अज्ञानी प्राणी हूँ, फिर भी घोड़ा - सा ज्ञान तो अवश्य ही रखता हूँ। मैं अपना घर बनाकर बड़े आनन्द से बैठा हूँ। यदि तू भी घर बना लेता तो आज इस कड़कड़ाती सर्दी में क्यों इधर - उधर भटकना पड़ता, क्यों शरीर ठिठुरता।बया की यह हित - शिक्षा बन्दर को रुचिकर नहीं लगी। मन ही मन कुडकुड़ाने लगा-हाय । यह छोटा तुच्छ प्राणी मुझे उपदेश दे रहा है। शिक्षा सुना रहा है। इसने मेरा अपमान किया है। इस अपमान को में सह नहीं सकता। बया के घोंसले को देखा और वह उछला। एक क्षण में बया के घर को तोड़कर वृक्ष पर जा बैठा। अभिमानपूर्वक वह बोला- बया! तूने मेरी करतूत देखी। मैं कितना कला - निपुण और शक्तिशाली बन्दर हूँ। मेरे सामने तेरी क्या शक्ति है ? बया बेचारा आंखें मलता हुआ बोला- कुपात्र को कभी भी हितशिक्षा नहीं देनी चाहिए। अगर मैं मौन रहता तो आज यह दुष्परिणाम क्यों भोगना पड़ता है |
विवेकशील व्यक्ति पात्र - अपात्र को देखकर ही उपदेश देते हैं। अपात्र को दिया हुआ उपदेश नुकसान करता है। अतः योग्यायोग्य की परीक्षा अवश्य ही करनी चाहिए।
शिक्षा देना योग्य को, 
करके हृदय विचार। 
'मुनि कन्हैया' अन्यथा, 
होगा अमित बिगाड़।।
         *आभार* 
 *पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट* 
       *अहमदाबाद*

*ज्ञानसागर ग्रंथमाला* *आत्म - स्वरूप का ज्ञान* *लेखक ( मुनि कन्हैयालाल* )

*ज्ञानसागर ग्रंथमाला* 
 *आत्म - स्वरूप का ज्ञान* 
 *लेखक ( मुनि कन्हैयालाल* )
एक गर्भवती सिंहनी थी। वह अपनी क्षुधा को शान्त करने के लिए शिकार की खोज में जंगल में इधर उधर भटक रही थी। उसने दूर से भेड़ों के एक झुण्ड को चरते देखा। उन पर आक्रमण किया। ज्यों ही छलांग मारी त्यों ही उसके प्राण पखेरू उड़ गये। मातृविहीन बच्चे का जन्म हुआ। भेड़ें उस बच्चे की सार - संभाल में जुट गयीं। भेड़ों के बच्चों के साथ वह सिंह - शिशु बड़ा होने लगा। हर क्रिया भेड़ों की भाँति करने लगा। घास - पात खाकर रहने लगा। भेड़ों से मैं - मैं करना भी सीख लिया। कुछ ही समय पश्चात् वह एक बलिष्ठ सिंह जैसा बलवान बन गया, फिर भी वह अपने आपको भेड़ ही समझता था और उन सब में ही अपना जीवन यापन कर रहा था| उसी जंगल में एक दिन एक सिंह शिकार हेतु आ पहुँचा। उसने उस भेड़ सिंह को देखा। आश्चर्य हुआ भेड़ों के बीच यह सिंह कहाँ से आ गया। उसे यह 'तू भेड़ नहीं, सिंह है' समझाने के लिए ज्यों ही वह आगे बढ़ा त्यों ही भेड़ों का झुण्ड दौड़ने लगा और साथ साथ वह भेड़ सिहं भी। परन्तु उस सिंह ने उस भेड़ - सिंह को अपने यथार्थ स्वरूप का भान कराने के लिए प्रयास नहीं छोड़ा। वह सब कुछ देखता रहा कि यह भेड़ - सिंह कहाँ रहता है, कहाँ सोता है, क्या करता है। एक दिन उसे अकेला देखकर वह छलांग मारकर उसके पास जा पहुँचा और बोला - अरे ! तू भेड़ों के साथ रहकर अपने यथार्थ स्वरूप को कैसे भूल गया ? तू भेड़ नहीं है, तू तो सिंह है। इन भेड़ों के बीच रहकर अपने जीवन को क्यों नष्ट कर रहा है? भेड़ - सिंह ने कहा- मैं तो भेड़ हूँ, सिंह कैसे कहला सकता हूँ? मैं आपका कहना कभी भी मानने वाला नहीं हूँ, चाहे आप कितना भी प्रयत्न करें। यों कहकर वह भेड़ों की भाँति मिमियाने लगा। कुछ ही देर बाद उस सिंह ने भेड़ सिंह को उठाकर किसी तालाब के किनारे ले जाकर कहा, 'अब देख पानी में, जैसा प्रतिबिम्ब मेरा पड़ रहा है वैसा ही प्रतिबिम्ब तेरा है। तेरा और मेरा आकार समान है। अपने सही रूप को भूल रहा है। अब वह अपने प्रतिबिम्ब को देखने लगा। स्वयं के आकार का सही आभास होते ही वह सिंह की तरह गरजने लगा।हर इन्सान में अनन्त शक्ति है। उस शक्ति का दर्शन ही आत्म - दर्शन है।  जब तक मानव उसका दर्शन नहीं कर पाता तब तक वह अपने आपको भेड़ - सिंह की भाँति कमजोर और निर्बल समझता है। पर ज्यों ही उसे आत्म - रूप का ज्ञान हो जायेगा, वह सहजानन्द में रमण करने लग जायेगा।
जब तक आत्मा को नहीं, 
आत्म-रूप का भान।
 तब तक वह पर - द्रव्य में, 
करती रमण महान।।
           *आभार* 
 *पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट*   
       ** *अहमदाबाद*

*ज्ञानसागर ग्रंथमाला* *चण्डकौशिक* *लेखक ( मुनि कन्हैयालाल* )

*ज्ञानसागर ग्रंथमाला*    *चण्डकौशिक* 
 *लेखक ( मुनि कन्हैयालाल* )
भगवान महावीर जब श्वेताम्बिक्रा नगरी की ओर प्रस्थान कर रहे थे तब मार्गस्थ लोगों ने कहा - भगवन् ! आप इधर न पधारें। मार्ग में एक भयंकर जहरीला चण्डकौशिक सर्प रहता है। जो भी व्यक्ति इस मार्ग से गुजरता है, उसे वह डस जाता है। सैकड़ों व्यक्ति परलोकगामी बन गये। अब इस मार्ग से कोई भी व्यक्ति आना - जाना नहीं चाहता है। अतः आप भी इस पथ से न पधारें। किन्तु भगवान महावीर उपसर्गों से कब विचलित होने वाले थे ! भय और डर से कब वे पराजित होने वाले थे ! उन्होंने अपना पूर्व निश्चित मार्ग न बदला, मन्द गति से चलते रहे। चण्डकौशिक सर्प की बांबी आयी। भगवान ध्यानस्थ खड़े हो गए। उसने विष छोड़ा। भगवान के पैर के अंगूठे को डसा। उसके जहर का उनके शरीर पर कोई प्रभाव न हुआ। तब फिर उसने उनके कंधों पर चढ़कर कंधों को डसा। फिर भी कोई असर नहीं। भगवान ज्यों के त्यों मेरु की भाँति ध्यान-मुद्रा में लीन रहे। उसे उनका रुधिर बहुत स्वादिष्ट लगा। वह उसे पीने लगा। मन - ही - मन जिज्ञासा जागृत हुई कि क्या कारण है, मेरे विष का इन पर कोई असर नहीं हुआ ? चिंतन, मनन, ऊहापोह करते ही उसे जाति स्मरण ज्ञान हो गया।
ये तो चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर हैं।' झट उनके शरीर से नीचे उत्तरा। उनके चरणों में लोटने लगा। पूर्वभव देखते ही वह दुःख करने लगा, हाय ! साधु जीवन में मैंने गुस्सा किया जिससे मुझे तिर्यञ्चगति में आना पड़ा। अब उसे उन क्रोधजनित कुत्सित कार्यों का भी स्मरण हुआ। उनकी आलोचना व गर्हा करता हुआ शरीर की ममता छोड़कर अनशनपूर्वक वह बांबी में रहने लगा। भगवान महावीर वहाँ से चले। लोगों ने देखा। आश्चर्य हुआ। यह क्या बात, सर्प ने इन्हें डसा नहीं। कुछ नजदीक आकर देखा तो सर्प बिल्कुल शान्त होकर बैठा है। सारे शहर में यह बात प्रसिद्ध हो जाने से सैकड़ों व्यक्ति उसकी पूजा व अर्चना के लिए आने लगे। दूध, खाण्ड, मेवे मिष्ठान आदि चढ़ने लगे। उन पदार्थों की गन्ध से अनेक चींटियाँ जमा हो गईं। सर्प के शरीर को चाटने लगीं। उसने इस असह्य वेदना को समभाव से सहा। क्रोध नहीं किया। समता व क्षमा के प्रभाव से वह देव योनि में उत्पन्न हुआ।
जिस व्यक्ति ने क्रोधावेश में साधु जीवन को बिगाड़ा था, उसी जीव ने तिर्यञ्चगति में समता के झूले में झूलकर अपने जीवन को सुधारा, यह है समता का साकार सुफल|
समता के सद्भाव से, 
शत्रु मित्र साकार। 
'मुनि कन्हैया' क्रोध से, 
निश्चित अमित बिगाड़।
          *आभार* 
 *पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट* 
        *अहमदाबाद* 
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*ज्ञानसागर ग्रंथमाला* *महात्मा शंखेश्वरदास* *लेखक ( मुनि कन्हैयालाल* )

*ज्ञानसागर ग्रंथमाला*  
   *महात्मा शंखेश्वरदास* 
 *लेखक ( मुनि कन्हैयालाल* )
घोबी के घर एक गधा रहता था। जब वह रेंकता तब उसकी आवाज शंख ध्वनि जैसी होती थी। इसलिए धोबी ने उसका नाम 'शंखेश्वरदास' रख दिया। काफी काम देता था। जिससे धोबी को वह बहुत ही अच्छा एवं प्रिय लगता था। अचानक एक दिन गधा मर गया, इसलिए धोबी को बड़ा दुःख हुआ। चेहरे पर उदासी छा गई। हाय हाय करने लगा और नाई को बुलाकर कहा - "भाई परम योगीराज महान् आत्मा श्री शंखेश्वरदास का आज स्वर्गवास हो गया। अतः मुझे भद्र बना दो।" नाई ने उस्तरा लेकर धोबी का सिर मुंड दिया। नाई अपने घर आया और सोचने लगा धोबी भद्र बना है तो मुझे भी महात्मा जी के स्वर्गवास के उपलक्ष में भद्र बनना चाहिए। नाई भद्र बनकर कोतवाल के घर किसी काम के लिए चला गया। कोतवाल ने पूछा - नाई ! आज सिर क्यों मुंडाया है? क्या बात है ?"नाई (आश्चर्य से) --- "क्या आपको अभी तक पता ही नहीं है?"
कोतवाल - "मुझे तो कुछ भी मालूम नहीं है। बताओ किसका स्वर्गवास हुआ ?"नाई - "सुप्रसिद्ध महात्मा शंखेश्वरदास का आज देहावसान हो गया, अतः मैं भद्र बना हूँ।"कोतवाल - "क्या शंखेश्वरदास कोई बड़े महात्मा थे ?"नाई - "हाँ, बड़े त्यागी तपस्वी महात्मा थे।"कोतवाल - "तब तो अवश्य उनका शोक मनाना चाहिए। भाई। मुझे भी भर बना दो।"कोतवाल सिर मुंडाकर राज दरबार में गया।राजा ने पूछा - "कोतवाल । भद्र कैसे बना? क्या बात हुई?"
कोतवाल - "राजन् । आप नगर के स्वामी हैं। ऐसी दुःखप्रद, हृदय विदारक घटनाओं से भी आप अज्ञात रहते हैं। परम तपस्वी महात्मा शंखेश्वरदास का स्वर्गवास हो गया है इसलिए मैंने सिर मुंडाया है।"
राजा ने भी नाई को बुलाकर सिर मुंडा लिया और समस्त शहर में घोषणा करवा दी - "महात्मा शंखेश्वरदास के स्वर्गवास के उपलक्ष में समस्त बाजार, स्कूलें तथा सरकारी कार्यालय बन्द रखें। शाम को सात बजे राजा जी की अध्यक्षता में एक शोक सभा मनाई जायेगी।" राजा की आज्ञा से सारे शहर में शोक मनाया गया। लोगों में भेड़चाल होती ही है। अनेकों अनुकरणप्रिय लोगों ने सिर मुंडा लिया। लेकिन वास्तविक तथ्य की खोज किसी ने भी नहीं की। शाम को नृपति की अध्यक्षता में शोक सभा हुई। हजारों महानुभावों ने भाग लिया। बाहर गया हुआ मन्त्री अचानक उसी सभा में आ पहुँचा। राजा आदि अनेकों को भद्र देखकर मंत्री सहम गया। यह क्या बात है ? राजा आदि अनेकों प्रतिष्ठित व्यक्ति सिर को मुंडाकर कैसे बैठे हैं? राजा ने कहा - "मंत्री । चौकने की कोई बात नहीं है। महात्त्मा शंखेश्वरदास का स्वर्गवास हो गया, इसलिए हम भद्र बने हैं और उनकी शोक सभा मना रहे है।"
मंत्री - "शखेश्वरदास कौन थे ?"
राजा - "कोई महात्मा होगें।
मंत्री - "उन्होंने कौन से शहर में समाधि ली ?"राजा - "यह तो हमें पता नहीं। कोतवाल के कथनानुसार हमने यह सब किया है।" मंत्री ने क्रमशः कोतवाल और नाई को बुलाया और उन्हें पूछा - "वह शंखेश्वरदास कौन थे?" उन्होंने कहा हमें पता नहीं, धोबी जानता है।" धोबी को बुलाकर पूछा गया। धोबी ने हाथ जोड़कर कहा - मन्त्रीवर । शंखेश्वरदास न कोई योगी थे और न कोई महात्मा। वह था मेरे काम आने वाला प्राण प्रिय 'गधा'। यह सुनते ही सबकी आँखें खुल गई। दाँतों में अंगुलियाँ आ गई। सबके सिर नीचे झुक गये। हाय ! बिना सोचे - विचारे भद्र बन गए। राजा भी पुनः पुनः पश्चाताप करने लगे। पर अब क्या था ?
आज का युग भी भेड़चाल की तरह आगे बढ़ रहा है। वास्तविक तथ्य का विचार किये बिना ही हर किसी का अनुसरण करने लग जाते हैं परन्तु जो व्यक्ति बिना सोचे - समझे काम करते हैं उन्हें आखिर में पश्चाताप करना पड़ता है।
बिना विचारे मत करो, 
कभी तनिक भी कार्य। 
नरपति पछताता रहा, 
मुंडित होकर आर्य ।।
          *आभार* 
 *पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट*   
        *अहमदाबाद*

*ज्ञानसागर ग्रंथमाला* *कुछ तुम समझे* , *कुछ हम समझे** **लेखक ( मुनि कन्हैयालाल* )

*ज्ञानसागर ग्रंथमाला* 
    *कुछ तुम समझे* , 
    *कुछ हम समझे** 
 **लेखक ( मुनि कन्हैयालाल* )
एक बुढ़िया थी। शहर से कुछ सौदा खरीदकर अपने गाँव की ओर रवाना हुई। अधिक थकान होने से वह मार्ग में बैठ गई। उसी मार्ग से एक घुड़सवार जा रहा था। बुढ़िया ने घुड़सवार से कहा "बेटे ! जरा ठहरो, मेरी बात सुनो।
घुड़सवार बोला - "माँ जी। जल्दी बोलो, क्या काम है? मुझे अमुक गाँव में शीघ्रता से पहुँचना है।"
मीठी वाणी में बुढ़िया ने कहा - "बेटे जिस गाँव में तुम जा रहे हो, उसी गाँव में मुझे जाना है। मैं वृद्धा हूँ। मेरे घुटनों में काफी दर्द हो रहा है। अधिक वजन लेकर चल नहीं सकती। इसलिए तुम मेरे सामान की गठरी घोड़े पर ले जाओ। घर पहुँचा देना। तुम्हारा उपकार नहीं भूलूँगी।"
घुड़सवार ने सुनककर बोला - "माँ जी। मार्ग में अनेको व्यक्ति मिलते हैं किस - किसका समान ले जाया जाए। मेरे से यह काम नहीं होता।" यों कहता हुआ घुड़सवार आगे बढ़ गया।
कुछ ही दूरी पर घुड़सवार के मन में आया आज तो अच्छा अवसर आया था हाथ में। भोलेपन में यों ही गंवा दिया। गठरी हजम करने का बहुत हीअच्छा मौका था। वह वापस मुड़ा। बुढ़िया के पास आया और मीठे शब्दों में बोला - मैं कुछ ही दूर गया, पर मेरे से चला नहीं गया। मन में मंथरता उत्पन्न हो गई। विचार बदले। मैंने सोचा वृद्ध माँ जी को निराश करना व्यवहार में अच्छा नहीं है। इसलिए गठरी लेने वापस आया हूँ। घोड़े पर रख लूँ। तुम्हारे घर पहुँचा दूँगा।"
बुढ़िया हँसकर बोली - "क्या है? समय निकल गया। अब नहीं दूँगी। कुछ तुम समझे, कुछ हम समझे।"
घुड़सवार चकित हुआ और बोला- "माँ जी ! ऐसे कैसे कह रही हो ? क्या हुआ।"
बुढ़िया ने कहा - "उस समय तुम्हारे विचार शुद्ध थे। इसी कारण मुझे भी गठरी देनें की सूझी थी। अब तुम्हारे मस्तिष्क में विकृति उत्पन्न हो गई। विचारों में स्वच्छता नहीं रही। मन में पाप भर गया। अनीति आ गई। उस अनीति का असर मेरे पर भी आ गया। मैं धोखा नहीं खाऊँगी, अतः अब अपना सामान देना नहीं चाहती, स्वयं ले जाऊँगी। तुम्हारे विचार बदले तो मेरे भी विचार बदल गये।"
मानसिक विचार - शक्ति का प्रभाव दूसरों पर बहुत जल्दी पड़ता है। जिस व्यक्ति की भली अथवा बुरी जैसी भी विचारधारा होगी, सामने वाले की वैसी ही बन जायेगी। अतः हर व्यक्ति को अपनी विचारधारा पवित्र रखनी चाहिए।
कुछ तुम समझे हृदय में,
 कुछ हम समझे अद्य। 
बुरे विचारों का असर, 
मन पर पड़ता सद्य ।।
          *आभार* 
 *पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट* 
         *अहमदाबाद*

ज्ञानसागर ग्रंथमाला* *दुर्जन का संग* *लेखक ( मुनि कन्हैयालाल )*

*ज्ञानसागर ग्रंथमाला* 
          *दुर्जन का संग* 
 *लेखक ( मुनि कन्हैयालाल )* 

एक हंस और एक कौवे में एक बार अच्छी दोस्ती हो गई। गगन विचरण करते हुए दोनों एक वृक्ष पर जा बैठे। प्रेमपूर्वक दोनों बातें करने लगे। किन्तु स्वभाव से दोनों अलग - अलग थे। हंस की गतिविधि सज्जन जैसी थी और कौवे की दुर्जन जैसी। अचानक उसी वृक्ष की शीतल छाया में विश्राम लेने के लिये थका हुआ एक मुसाफिर आ गया। वह अपनी चादर बिछाकर सो गया। श्रान्त होने के कारण सहसा गहरी नींद आ गई। वृक्ष पर बैठे हुए हंस ने देखा कि पथिक के बदन पर सूर्य की कुछ किरणें पड़ रही हैं। तीव्र ताप के कारण इसकी नींद टूट जायेगी। इस कारण हंस अपनी पाँखें फैलाकर बैठ गया। सारी धूप उसके पंखों पर समाहित हो गई। यह बात कौवे को अच्छी नहीं लगी। उसने सोचा - हंस बिल्कुल भोला है। पथिक की चिन्ता में खुद कितना ताप सह रहा है। पथिक को आराम क्यों देता है? उसके सुख को पचा नहीं सकने के कारण कौवे ने मुसाफिर के मुख पर विष्ठा कर दी।
पथिक की आँखे खुलीं। सोचा - यह दुश्मन कौन ? पंख फैलाए हुए हंसको देखते ही वह तो आग - बबूला हो गया। मलकर्ता उसी हंस को समझकर उसने गोली से उसके प्राण पखेरू उड़ा दिये। दुर्जन के संग से हंस को बिना मौत मरना पड़ा।
दुर्जन का संग कभी भी सुखद नहीं होता है। सज्जन का संग सर्वदा लाभप्रद होता है। 'जैसा संग वैसा रंग' जैसा संग मिलेगा वैसा ही रंग चढ़ जायेगा। अतः हर एक को दुष्ट मनुष्यों की संगति से दूर रहना चाहिए।
दुर्जन कौवे - संग से, 
मरा बेचारा हंस। 
सज्जन संगति से मनुज,
 बनता जग - अवतंस।।
            *आभार* 
 *पुनरुत्थान प्रकाशन सेवा ट्रस्ट*   
        *अहमदाबाद*

गणित ओलंपियाड अभ्यास प्रश्न भाग 1 संख्याएं dr Parag misra

यहाँ कक्षा 5, अध्याय 1 "संख्याएँ" (UP Board, गणित) पर आधारित 15 बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) हिंदी में दिए गए हैं: --- अध्याय 1: संख्...