प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्तर के लिए उपयुक्त गणित की pedagogy क्या है ? @dmsambhal
प्राथमिक (कक्षा 1-5) और उच्च प्राथमिक (कक्षा 6-8) स्तर के लिए गणित की उपयुक्त शैक्षणिक विधियाँ (Pedagogy)
गणित पढ़ाने के लिए उचित शैक्षणिक विधि (Pedagogy) अपनाना आवश्यक है ताकि बच्चों की समझ, तर्क शक्ति, और समस्या समाधान कौशल विकसित किया जा सके। NEP 2020 और निपुण भारत मिशन के तहत, गणित की शिक्षा को रोचक, व्यावहारिक और अनुभव आधारित बनाने पर जोर दिया गया है।
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1. प्राथमिक स्तर (कक्षा 1-5) के लिए गणित की उपयुक्त शैक्षणिक विधियाँ
प्राथमिक स्तर पर बच्चों की संख्यात्मक अवधारणाएँ (Number Sense), बुनियादी गणनाएँ (Basic Arithmetic) और तार्किक सोच (Logical Thinking) विकसित करना महत्वपूर्ण होता है।
(A) अनुभव-आधारित अधिगम (Experiential Learning)
✅ सीखने को रोजमर्रा की गतिविधियों से जोड़ना (जैसे – बाजार में खरीदारी के दौरान जोड़-घटाव सिखाना)।
✅ खेल और गतिविधियों का उपयोग (जैसे – गणितीय पहेलियाँ, फ्लैश कार्ड, रंगीन ब्लॉक्स)।
✅ मन में गणना (Mental Math) विकसित करने के लिए संख्याओं के पैटर्न सिखाना।
(B) ठोस-सार-निरूपण विधि (Concrete-Pictorial-Abstract Method - CPA Approach)
✅ Concrete (ठोस) – पहले बच्चों को वस्तुओं (Counters, Blocks, Beads) से जोड़-घटाव सिखाया जाए।
✅ Pictorial (चित्रात्मक) – इसके बाद चित्रों और आकृतियों के माध्यम से अवधारणाएँ समझाई जाएँ।
✅ Abstract (निरूपणात्मक) – अंत में सांकेतिक (संख्याओं और प्रतीकों) गणित सिखाया जाए।
(C) खेल-आधारित शिक्षण (Play-Based Learning)
✅ गणितीय खेलों (Math Games) का उपयोग – साँप-सीढ़ी, अबेकस, डोमिनोज़, कार्ड गेम।
✅ शारीरिक गतिविधियों का समावेश – उदाहरण: कक्षा में गणना के लिए तालियाँ बजाना या उछल-कूद के साथ गणितीय क्रियाएँ करना।
(D) संवाद और अन्वेषण (Discussion & Exploration)
✅ बच्चों को खुली चर्चा में शामिल करना, ताकि वे अपने विचारों को व्यक्त कर सकें।
✅ ‘क्यों’ और ‘कैसे’ प्रकार के प्रश्न पूछकर उनकी तार्किक क्षमता विकसित करना।
(E) बहु-इंद्रिय विधि (Multi-Sensory Approach)
✅ श्रवण (Listening), दृष्टि (Visual), और स्पर्श (Touch) को जोड़कर गणित पढ़ाना।
✅ जैसे – रेत पर संख्याएँ बनवाना, गणितीय कहानियाँ सुनाना, हाथों से गिनती कराना।
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2. उच्च प्राथमिक स्तर (कक्षा 6-8) के लिए गणित की उपयुक्त शैक्षणिक विधियाँ
उच्च प्राथमिक स्तर पर गणितीय संकल्पनाएँ (Mathematical Concepts) अधिक अमूर्त (Abstract) और जटिल (Complex) हो जाती हैं। इसलिए, शिक्षण विधियाँ अधिक विश्लेषणात्मक, तार्किक और समस्या-समाधान आधारित (Problem-Solving Oriented) होनी चाहिए।
(A) खोज-आधारित अधिगम (Inquiry-Based Learning)
✅ बच्चों को समस्याएँ हल करने के लिए प्रेरित करना।
✅ उदाहरण: “अगर कोई संख्या 3 से विभाज्य है, तो वह 6 से क्यों विभाज्य नहीं हो सकती?”
(B) प्रयोग आधारित गणित (Hands-On Learning & Manipulatives)
✅ ज्यामिति सिखाने के लिए रचनात्मक गतिविधियाँ (जैसे – ज्यामितीय आकृतियों के मॉडल बनाना)।
✅ बीजगणित सिखाने के लिए वास्तविक जीवन के उदाहरणों का उपयोग (जैसे – पैटर्न, समीकरण, और ग्राफ़ बनाना)।
(C) दृश्य-आधारित शिक्षण (Visual Learning)
✅ गणितीय अवधारणाओं को चित्रों, ग्राफ़, चार्ट और डायग्राम से समझाना।
✅ उदाहरण: भिन्न (Fractions) को टेबल पर कागज़ काटकर समझाना।
(D) सहकारी अधिगम (Collaborative Learning)
✅ समूह में बच्चों को कार्य करने देना, ताकि वे आपस में चर्चा करके समाधान खोजें।
✅ उदाहरण: छात्रों को समूहों में विभाजित करके ‘समस्या-समाधान प्रतियोगिता’ कराना।
(E) वास्तविक जीवन से जोड़ना (Connecting Math to Real-Life Situations)
✅ प्रतिशत, अनुपात, और औसत को ‘बैंकिंग, खरीदारी, खेल’ से जोड़ना।
✅ बीजगणित और ज्यामिति को वास्तुकला, इंजीनियरिंग और ग्राफिक्स से जोड़कर समझाना।
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3. गणित सिखाने में आम चुनौतियाँ और समाधान
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4. निष्कर्ष
गणित पढ़ाने की सही विधि (Pedagogy) का चयन करने से बच्चों में गणितीय तर्क शक्ति, समस्या समाधान कौशल और रचनात्मक सोच विकसित होती है। प्राथमिक स्तर पर खेल-आधारित और गतिविधि-आधारित शिक्षण आवश्यक है, जबकि उच्च प्राथमिक स्तर पर विश्लेषणात्मक और समस्या-समाधान आधारित विधियाँ उपयुक्त होती हैं। NEP 2020 और निपुण भारत मिशन ने इन पद्धतियों को अपनाने पर विशेष जोर दिया है, ताकि गणित शिक्षा को सरल, रोचक और प्रभावी बनाया जा सके।
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