Thursday, April 2, 2020

VIGYAN CLASS 8 [IN HINDI ] 1ST TERM

प्रथम सत्र परीक्षा पाठ एक से पांच तक अर्धवार्षिक परीक्षा पाठ 6 से सात तक  द्वितीय सत्र परीक्षा पाठ 8 से 10 तक वार्षिक परीक्षा पाठ 11 से 14 तक 

=======================================================================
पाठ 1 कार्बन व् उसके यौगिक 
========================================================================
1. निम्नलिखित प्रश्नों में सही विकल्प छाँटकर अभ्यास पुस्तिका में लिखिए -
(क) निम्नलिखित पदार्थो में से किसमें कार्बन नहीं पाया जाता है -
(i) कोयला में                                                 (ii) चीनी में
(iii) रोटी में                                                     (iv) नमक में
(ख) प्रकृति में कार्बन पाया जाता है -
(i) केवल मुक्त अवस्था में                        (ii) केवल यौगिकों में
(iii) मुक्त एवं यौगिक दोनों अवस्थाआें में (iv)केवल अपने अपररूपों में
(ग) कुकिंग गैस (L.P.G.) में किसकी मात्रा अधिक है - रा0प0खो0परीक्षा 2007
(i) मेथेन                                                 (ii) एथेन
(iii) एथिलीन                                           (iv) ब्यूटेन
(घ) कार्बन का क्रिस्टलीय रूप है - रा0अ0आय परीक्षा 2008
(i) जन्तु चारकोल                                         (ii) ग्रेफाइट
(iii) कोयला                                         (iv) लकड़ी का चारकोल
2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए -
(क) ........कार्बन .............. सभी सजीव तथा कुछ निर्जीवों में उपस्थित है।
(ख) ........मीथेन ................... सरलतम हाइड्रोकार्बन है।
(ग) ................हीरा ............ सबसे कठोर पदार्थ है।
(घ) पेट्रोल ....... द्रव .... ..... ईंधन है। 
(ङ) पेंसिल में उपस्थित काला पदार्थ ........ग्रेफाइट ................. है।
3. निम्नलिखित कथनों में सही कथन के आगे सही (√) तथा गलत कथन के आगे गलत (x) का चिन्ह लगाइये -
(क) सभी हाइड्रोकार्बन कार्बनिक पदार्थ हैं। ----                          [सही ]
(ख) हीरा कार्बन का अक्रिस्टलीय रूप है।  ----                          [गलत ]
(ग) सुगर चारकोल कार्बन का शुद्धतम अक्रिस्टलीय अपररूप है।
                                                                                              [सही] 
(घ) लकड़ी के चूल्हे की दक्षता सबसे अधिक होती है।                   [गलत]
4. संक्षेप में उत्तर दीजिए -
(क) अपररूप क्या होते हैं ? कार्बन के अपररूपों का उल्लेख कीजिए।
अपरूप के रासायनिक गुण समान होते हैं पर भौतिक गुण  भिन्न होते हैं। 
हीरा , ग्रेफाइट , कोयला , काजल कार्बन के अपरूप हैं। 
(ख) हीरा तथा ग्रेफाइट के गुणों की तुलना कीजिए।
=हीरा पारदर्शी कठोर अपरूप है जबकि ग्रेफाइट सलेटी रंग का मुलायम चिकना पदार्थ। है 
(ग) मेथेन को ``मार्श'' गैस क्यों कहते हैं ?
=दलदली स्थानों में सड़े गले पौधों से उत्पन्न गैसों का  भाग होने के कारण  मीथेन को  मार्श गैस भी कहते हैं 
(घ) पेट्रोल को जीवाश्म ईंधन क्यों कहते हैं ?
=पृथ्वी के अंदर  करोङो वर्ष पूर्व दबे जीवों के अपघटन से द्रव ईंधन प्राप्त होता जिसका पेट्रोल एक भाग है। 
(ङ) पेट्रोल को तरल सोना क्यों कहते हैं ?
= क्योंकि इसका उपयोग यातायात के साधनों ,कृषि उद्योग ,संचार आदि विभिन्न कार्यों में होता है और यह किसी राष्ट्र की समृद्धि बताता है। 
(च) प्रकृति में कार्बन किन पदार्थो में पाया जाता है ?
  कार्बन मुक्त और योगिक दोनों रूपों में  जाता है। 
(छ) लैम्प ब्लैक क्या होता है ?
 =यह मोम या तेल को वायु  कि सीमित मात्रा में जलाने पर प्राप्त होता है। इसे काजल भी कहते हैं।  
(ज) हाइड्रोकार्बन यौगिक कितने प्रकार के होते हैं ?
=दो प्रकार के होते हैं =संतृप्त तथा असंतृप्त। 
(झ) रॉकेट ईंधन के दो उदाहरण दीजिए।
=मिथाइल हाइड्रेज़ीन ,द्रव हइड्रोजन 
(ट) पेट्रोलियम गैस किन गैसों का मिश्रण है ?
=मीथेन , ईथेन ,प्रोपेन तथा ब्यूटेन 
(ठ) कार्बन के अपररूपों का चार्ट पेपर पर चित्र बनाइए।


5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
(क) ईंधन क्या है ? ईंधन का वर्गीकरण उदाहरण सहित कीजिए।
ईंधन वे पदार्थ हैं जिनके दहन से ऊष्मा उत्पन्न होती है ये निम्न प्रकार के होते हैं 
1 ]घरेलु ईंधन =लकड़ी ,कोयला,केरोसिन ,LPG 
2 ]औधोगिक ईंधन =पेट्रोल,डीजल,नेप्था,कोयला,CNG 
3 ]इंजन ईंधन =पेट्रोल ,डीजल,केरोसिन 
4 ]राकेट ईंधन =मेथील हाइड्रेज़ीन ,द्रव हाइड्रोजन 
(ख) हीरा में कार्बन परमाणु किस प्रकार व्यवस्थित रहते हैं? चित्र की सहायता से समझाइए।


(ग) हीरा का उपयोग आभूषण बनाने में क्यों किया जाता है ?
=क्योंकि हीरा एक पारदर्शी और कठोर अपरूप है। 
(घ) सुगर चारकोल का उपयोग लिखिए।
=इसे कैरामेल भी कहते हैं।, इसका उपयोग धातु ऑक्साइड को धातु में अपचयित करने में होता है। 
6 .निम्नलिखित प्रश्नों में चार-चार पद हैंं।प्रत्येक प्रश्न में तीन पद किसी न किसी रूप में एक से हैं और एक पद अन्य तीनों से भिन्न है।अन्य से भिन्न पद की पहचान कर अभ्यास पुस्तिका में लिखिए- रा0प्र0खो0परीक्षा
(क). हीरा, कोयला, जन्तु चारकोल, काजल
(ख) मेथेन, ईथेन, प्रोपेन, इथलीन
(ग) एल0पी0जी0 गैस, पेट्रोल, डीजल, लकड़ी
(घ) खाने का सोडा, चीनी, रोटी, नमक

========================================================================

इकाई : 2 ऊर्जा के प्राकृतिक एवं वैकल्पिक स्रोत

===============================================

1.निम्नलिखित प्रश्नों में सही विकल्प छाँटकर अभ्यास पुस्तिका में लिखिए-
(क) पुन: प्राप्त होने वाली (नवीकरणीय )ऊर्जा का स्रोत है -
(i) कोयला                                                     (ii) पेट्रोलियम
(iii) ज्वार-भाटा की ऊर्जा                        (iv) प्राकृतिक गैस
(ख) पुन: प्राप्त न होने वाली (अनवीकरणीय)ऊर्जा का स्रोत है -
( i) पवन ऊर्जा                                   (ii) बहते हुए जल की ऊर्जा
(iii) सौर ऊर्जा                                        (iv)कोयले की ऊर्जा
(ग) सौर ऊर्जा को सीधे विद्युत ऊर्जा में बदला जाता है-
(i) सौर भट्ठी द्वारा                                  (ii) सौर-सेल द्वारा
(iii) सोलर कुकर द्वारा                      (iv) सौर-जल ऊष्मक द्वारा
2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए-
(क) परिवहन हेतु ऊर्जा का प्रमुख स्रोत ...डीजल ..............है .
(ख) मुख्यत: जीवाश्म ईंधन...कोयला ........और.....पेट्रोल ........ है .
(ग) सभी प्राणी अपना भोजन....सूर्य ..........से प्राप्त करते हैं .
(घ) बायोगैस मुख्यत: ......मीथेन ...... और ...CO 2 ..........का मिश्रण है .
(ड.)जलविद्युत संयंत्र का मुख्य स्रोत .....जल .............. है .
3. निम्नलिखित कथनों में सही कथन के सम्मुख सही (√) और गलत कथन के सम्मुख गलत (x) का चिन्ह लगाइए-
(क) सभी प्रकार की ऊर्जा का मुख्य स्रोत सूर्य है.(√)
(ख) वायु की उपस्थिति में बायोमास के अपघटन से बायोगैस उत्पन्न होती है.(√)
(ग) मिट्टी का तेल और डीजल पेट्रोलियम से प्राप्त किये जाते हैं.(√)
(घ) सौर ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा प्राप्त नहीं की जा सकती है.(x)
(ड़) बांध द्वारा बनाये गये जलाशय के जल में गतिज ऊर्जा होती है.(√)
(च) विद्युत, ऊर्जा का अच्छा स्रोत है।  इससे प्रदूषण उत्पन्न नहीं होता है.(√)
(छ) नियंत्रित नाभिकीय विखंडन द्वारा मुक्त ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है.(x)
4. स्तम्भ क और स्तम्भ ख में दिये गये शब्दों का मिलान कीजिए .
क                                                                            ख

1)पेट्रोल------------------------------------------------स्कूटर
2)कोयला--------------------------------------तापीय विद्युत घर
3)जलाशय पर बाँध -------------------------जल विद्युत संयंत्र
4)डीजल ------------------------------------------------ बस
5)वायु--------------------------------------------पवन-चक्की

5. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
(क)पृथ्वी पर ऊर्जा का सबसे बड़ा स्रोत कौन है ?
=सूर्य 
(ख) सोलर सेल का क्या उपयोग होता है ?
सौर ऊर्जा से विद्युत ऊर्जा प्राप्त करने में उपयोग। 
(ग)पेट्रोलियम किस प्रकार बनता है ?
=अरबों वर्ष पूर्व धरती के अंदर जीवाश्म के अपघटन से बनता है। 

(घ)बायोगैस क्या है ? यह किस प्रकार उत्पन्न की जाती है ?
=यह मीथेन कार्बन डाई ऑक्साइड का मिश्रण है। ये गोबर,पानी पत्तों को पाचक टैंक में सड़ाने पर प्राप्त होती है। 
(ङ) सौर ऊर्जा के ऊष्मीय प्रभाव का उपयोग किस प्रकार किया जा सकता है ?
=इससे सोर हीटर बनाया जाता है 
(च)नाभिकीय ऊर्जा क्या है ? इसका क्या उपयोग है ?
=नाभिक के विखंडन से प्राप्त ऊर्जा नाभिकीय ऊर्जा कहलाती है ,इससे हमे नाभिकीय संयंत्र द्वारा विद्युत प्राप्त होती है। 

(छ)वर्तमान में जीवाश्म ईंधन ऊर्जा के प्रमुख स्रोत क्यों हैं ?
=कोयला,पेट्रोल,डीजल ,केरोसिन 
(ज)ऊर्जा संकट क्या है ? आप उस संकट को दूर करने के क्या उपाय करेगें 
ऊर्जा स्रोत के अनवरत प्रयोग से उनके समाप्त हो जाने का खतरा है ,इसे ही ऊर्जा संकट कहते है,इससे बचने के लिए हमे अनवरत प्राप्त होने वाले ऊर्जा स्रोत्र जैसे सोर ऊर्जा का प्रयोग बढ़ाना होगा। 
(झ)सीमित तथा असीमित ऊर्जा के तीन-तीन उदाहरण लिखिए.
=कोयला,पेट्रोल,डीजल,केरोसिन सीमित ऊर्जा के स्रोत हैं। पवन ऊर्जा ,सोर ऊर्जा ,ज्वारभाटा ऊर्जा असीमित ऊर्जा के उदाहरण हैं.  
6. निम्नलिखित प्रश्नों में चार पद हैं. तीन पद किसी न किसी रूप में एक से हैं. एक पद अन्य तीनों से भिन्न हैं. भिन्न पद की पहचान कर अभ्यास पुस्तिका में लिखिए- रा0 प्र0 खो0 परीक्षा

(क). डीजल, पेट्रोल, सूर्य, मिट्टी का तेल

(ख). वायु, जल, बायोगैस, कोयला

(ग) . सोलर कुकर,सौर सेल, प्रकाश ,सौर जल ऊष्मक

(घ) ईधन, अनाज, फल, सब्जियाँ

========================================================================

इकाईं - 3 खनिज एवं धातु

===============================================

1. निम्नलिखित प्रश्नों में सही विकल्प छाँटकर अपनी अभ्यास पुस्तिका में लिखिए -

(क) निम्नलिखित वस्तुआें में कौन सी वस्तु संक्षरित हो सकती है -

(i) लकड़ी की मेज                                (ii) स्टील की कुर्सी

(iii) खुली स्थानों पर रखी लोहे की छड़ (iv) तेल लेपित लोहे की छड़

(ख) बाँक्साइट किसका अयस्क है - रा0 प्र0 खो0 परीक्षा 2006

(i) सोडियम                                                        (ii) लोहा

(iii)एलुमीनियम                                                    (iv) कॉपर

(ग) इनमें से कौन सी सान्द्रण की विधि नहीं है?

(i) फेन प्लावन विधि                                 (ii) चुम्बकीय पृथक्करण

(iii) निस्तापन                                       (iv) गुरुत्वीय पृथक्करण

2. रिक्त स्थानों की पूर्ति कीजिए -

(क) सोडियम धातु को .......मिटटी के तेल ................ में रखते हैं .

(ख) जंग लगने के लिए ....... ऑक्सीजन ..... तथा ....नमी .... आवश्यक है .

(ग) धातु से तार बनाने का गुण ....तन्यता ........................... कहलाता है .

(घ) जिन खनिजों से धातु का निष्कर्षण किया जाता है उन्हें ............ 
अयस्क .............. कहते हैं .

3. निम्नलिखित कथनों में सही कथन के आगे सही (√) तथा गलत कथन के आगे गलत (x)का चिन्ह लगाइए-

(क) हीरा कार्बन का रूप है. ---------------------------------------(√)

(ख) हेमेटाइट ,एलुमीनियम का अयस्क है. ----------------------(x)

(ग) धातु आॅक्सीजन से अभिक्रिया करके धातु ऑक्साइड बनाते हैं .--(√)

(घ) क्वार्ट्ज धत्विक खनिज है. ------------------------------------(x)

(ङ) संगमरमर चूने के पत्थर से बनता है. ----------------------------(√)

(च) निस्तापन की क्रिया में अयस्क को वायु की उपस्थिति में गरम किया जाता है. -----------------------------------------------------------(x)

4. कॉलम A के शब्दों का कॉलम B के शब्दों से सही मिलान कीजिए -

कॉलम A                                                           कॉलम B

बाँक्साइट                                                        एलुमीनियम

गैलेना                                                              लेड (सीसा)

हेमेटाइट                                                       आयरन (लोहा)

पाइरोलुसाइट                                                       मैंगनीज

5. निम्नलिखित प्रश्नों का संक्षिप्त उत्तर दीजिए -


(क)खनिज तथा अयस्क में क्या अन्तर है ?
खनिज को जमीन से खुदाई कर प्राप्त कतरे है जबकि वे खनिज जिनसे धातु का निष्कर्षण आसानी से होता है अयस्क  कहलाते हैं  .
(ख) धातुकर्म से क्या समझते हैं ?
किसी अयस्क से धातु का प्राप्त करना धातुकर्म कहलाता है 
(ग)धातुआें की अघातवर्धनीयता तथा तन्यता के गुण का क्या अर्थ है ?
धातुओं को पीटकर चादर बनाना  आघातवर्धनीयता कहलाता है ,धातुओं को खींचकर तार बनाना तन्यता कहलाता है 
(घ) धातुआें का संक्षारण क्या है ?
नमी की उपस्थिति में धातु के ऊपर भूरे रंग की परत का जमना संझारन कहलाता है। 
(ङ) मुक्त अवस्था में पाए जाने वाले किन्हीं दो धातुआें के नाम लिखिए.
सोना , चांदी 
(च) मिश्र धातु क्या होती हैं ?
दो या दो से अधिक धातुओं का समांगी मिश्रण मिश्र धातु कहलाता है 
(छ)अयस्कों का सान्द्रण क्यों किया जाता है ?
धुल के कण ,बालू जैसी अशुद्धियों को दूर करने के लिए सांद्रण करते हैं 
(ज)किसी एक द्रव धातु का नाम लिखिए.
पारा 
6. निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर दीजिए :-

(क) धातुआें की आॅक्सीजन से अभिक्रिया को उदाहरण सहित स्पष्ट कीजिए.
धातु आॅक्सीजन से क्रिया करके ऑक्साइड बनाते हैं. सोडियम तथा पोटैशियम कमरे के सामान्य ताप पर क्रिया करके ऑक्साइड बनाते हैं .
4Na     +     O2   ----------------------2Na2O

[सोडियम]  [आॅक्सीजन]                [सोडियम ऑक्साइड]
(ख) सान्द्रण की विभिन्न विधियों का सचित्र वर्णन कीजिए.
1. गुरुत्वीय पृथक्करण विधि

यदि अयस्क में पायी जाने वाली अशुद्धियाँ धातु से हल्की हों तो सान्द्रण की इस विधि का उपयोग करते हैं. इसमें अवरोधक लगे हुए लकड़ी के एक तख्ते को चित्र के अनुसार व्यवस्थित करते हैं . इस पर पिसा हुआ अयस्क गिराते हैं . इस अयस्क में अशुद्धियाँ मिली होती हैं . इन्हें अलग करने के लिए चित्र 1  के अनुसार जल की तेज धारा प्रवहित करते हैं. जल के प्रवाह के कारण भारी अयस्क तो अवरोधकों के बीच रुक जाता है जबकि हल्की अशुद्धियाँ जल के साथ बह जाती हैं.
2. चुम्बकीय पृथक्करण विधि
.
. चुम्बकीय पृथक्किारी में एक चमड़े का पट्टा होता है, जो दो रोलरों पर घूमता रहता है जिनमें से एक रोलर विद्युत चुम्बकीय होता है. बारीक पिसे हुये अयस्क को घूमते हुए पट्टे के एक सिरे पर डालते हैं. जब अयस्क चलते पट्टे के दूसरे सिरे के पास पहुँच कर गिरता है, तो अयस्क का चुम्बकीय भाग चुम्बक से आकर्षित होकर उसके समीप एक ढेर के रूप में इकट्ठा हो जाता है. इसी प्रकार अचुम्बकीय अशुद्धियाँ चुम्बकीय अयस्क से दूर गिरकर एक पृथक ढेर बनाती हैं.

3. फेन प्लवन विधि
बारीक पिसे हुए अयस्क को बड़े हौज में जल के साथ मिश्रित करके कर्दम (Slurry) बना लेते हैं. तत्पश्चात् उसमें चीड़ का तेल डालते हैं.इस कर्दम में जब तीव्र गति से वायु प्रवहित की जाती है तो उसके फलस्वरूप तेल से चिपककर अयस्क के हल्के कण,जिसमें प्रमुखत: सल्फाइड अयस्क होता है, ऊपर उठकर टैंक की ऊपरी सतह पर आकर मलफेन (मैल झाग)के रूप में तैरने लगते हैं.तत्पश्चात् इस मलफेन को वायु में सुखाकर अयस्क के कण प्राप्त कर लेते हैं. चूंकि अशुद्धियों के कण भारी हेाते हैं अत: जल में डूबकर टैंक के तल पर एकत्रित हो जाते हैं.



(ग) धातुआें के शोधन से क्या समझते हैं ? शोधन की विधि का सचित्र वर्णन कीजिए.
प्रगलन से प्राप्त धातु में अनेक अशुद्धियाँ मिली होती हैं. अशुद्धि युक्त कुछ धातुआें को विद्युत अपघटनी विधि द्वारा शुद्ध किया जा सकता है.इसके लिये एक बड़े टैंक में शोधित किये जाने वाले धातु के लवण का विलयन लेते हैं, जिसे विद्युत अपघट्य (Electrolyte)कहते हैं. अशुद्ध धातु की छड़ को एनोड के रूप में तथा शुद्ध धातु की एक छड़ को कैथोड के रूप में प्रयोग में लाते हैं और उन्हें विलयन में चित्र  के अनुसार डुबाते हैं . दोनों छड़ों को तार द्वारा बैटरी से जोड़ते हैं. विलयन में विद्युत धारा प्रवहित करते हैं जिसके फलस्वरूप एनोड से धातु के आयन विलयन में जाते हैं फिर विलयन से निकलकर कैथोड पर शुद्ध धातु के रूप में जमने लगते हैं. अशुद्धियाँ टैंक के पेंदे में ``एनोड मड''के रूप में बैठ जाती हैं.

(घ) धातुआें की जल के साथ अभिक्रिया को दो उदाहरण द्वारा स्पष्ट कीजिए .
सोडियम धातु जल के साथ तीव्र गति से अभिक्रिया करके सोडियम हाइड्रॉक्साइड तथा हाइड्रोजन गैस बनाता है .                                                 2Na+ 2H2O →2NaOH+H2
 मैग्नीशियम भाप या गर्म पानी के साथ क्रिया करके मैग्नीशियम ऑक्साइड तथा हाइड्रोजन गैस बनाता है .                                                     Mg+H2O →MgO + H2
(ङ)सोडियम धातु का जल तथा आॅक्सीजन से क्रिया का रासायनिक समीकरण लिखिए.
 2Na+ 2H2O →2NaOH+H2
4Na     +     O2   ----------------------2Na2O

(च)भर्जन तथा निस्तापन में अन्तर स्पष्ट कीजिए.
निस्तापन (Calcination)
अयस्क को वायु की अनुपस्थिति में उसके गलनांक से नीचे गर्म करके धातु ऑक्साइड में बदलने की क्रिया को निस्तापन कहते है. जैसे-लेड कार्बोनेट (PbCO3) युक्त अयस्क को गर्म करने पर लेड कार्बोनेट लेड ऑक्साइड (PbO) में परिवर्तित हो जाता है .
भर्जन (Roasting)
अयस्क को वायु की उपस्थिति में उसके गलनांक से कम ताप तक गरम करके ऑक्साइड में परिवर्तित करने की प्रक्रिया को भर्जन कहते हैं. जैसे- कॉपर सल्फाइड (Cu2S) युक्त अयस्क वायु में गरम करने पर वह कॉपर ऑक्साइड (CuO) में परिवर्तित हो जाता है.

(छ)धातु के संक्षारण की रोकथाम के लिये अपनायी जाने वाली विभिन्न विधियों का वर्णन कीजिए.
(1) पेंट का लेप चढ़ा कर :-धातु की वस्तुआें की सतह पर पेंट लगाकर उसे क्षरण से बचाया जा सकता है.
(2) ग्रीस या तेल लगाकर :-तेल या ग्रीस की परत भी धातु का वायु और नमी से सम्पर्क समाप्त कर उसके संक्षारण को रोकती है. 
(3) गैल्वोनीकरण (धातु चढ़ाना) :-लोहा को जंग से बचाने के लिये लोहे की चादर या अन्य पात्र को पिघले हुए जस्ते में डुबा देते हैं, जिसके कारण लोहे पर जस्ते की एक पतली परत जम जाती है . इसे गैल्वोनीकरण कहते हैं. 
(4) विद्युत लेपन (इलेक्ट्रोप्लेटिंग) :-लोहे का क्षरण रोकने के लिए उसके चारों ओर क्रोमियम या टिन की इलेक्ट्रोप्लेटिंग की जाती है. , ,एलुमीनियम को क्षरण से बचाने के लिए उसके ऊपर ,एलुमीनियम ऑक्साइड का विद्युत लेपन कर दिया जाता है .
(5) मिश्र धातु बना कर :-कभी-कभी एक धातु में दूसरी धातु या अधातु मिलाने पर वह अधिक कठोर, स्थायी तथा संक्षारण से सुरक्षित हो जाता है . स्टेनलेस स्टील, लोहा तथा कार्बन का मिश्र धातु है जिसमें आसानी से जंग नहीं लगता .
(ज)तवे की हैण्डिल में लकड़ी लगी होती है, क्यों.
लकड़ी ताप का कुचालक है इसलिए तवे के हैंडल में लकड़ी का प्रयोग होता है 

(झ)धातुआें के प्रमुख उपयोग लिखिए.
दैनिक जीवन में अनेक उद्देश्यों के लिए धातुआें का उपयोग होता है. वाहनों, हवाईं जहाजों, रेलगाड़ियों, उपग्रहों, औद्योगिक उपकरणों आदि को बनाने में अत्यधिक मात्रा में धातुएँ प्रयुक्त होती हैं. 
धातुएँ ऊष्मा की सुचालक होती है अत: उनका बर्तन और बॉयलर बनाने के लिए उपयोग किया जाता है. इस कार्य के लिए लोहा, कॉपर तथा ,एलुमीनियम का उपयोग किया जाता है.ताँबे का सबसे महत्वपूर्ण उपयोग विद्युत उपकरण बनाने में किया जाता है. 
सोने और चाँदी का उपयोग आभूषण बनाने के लिए होता है. खाने की वस्तुएँ, दवाइयोंं, चॉकलेट एवं सिगरेट की पैकिंग के लिए ,एलुमीनियम की पन्नियों का उपयोग किया जाता है.

7.निम्नलिखित प्रश्नों में चार-चार पद है. प्रत्येक प्रश्न में तीन पद किसी न किसी रूप में एक से हैं और एक पद अन्य तीनों से भिन्न है. अन्य से भिन्न पद की पहचान कर अभ्यास पुस्तिका में लिखिए- रा0 प्र0 खो0 परीक्षा

(क) पीतल, कॉसा, स्टेनलेस स्टील, लोहा

(ख) सोना,चाँदी, हीरा, प्लेटिनम

(ग) बाँक्साइट, गैलेना, हेमेटाइट, कॉपर

(घ) निस्तापन, भर्जन, सान्द्रण, संक्षारण
========================================================================


इकाईं : 4मानव निर्मित वस्तुएँ

========================================================================

1. सही विकल्प के सामने सही (√) का चिन्ह अपनी उत्तर पुस्तिका में लगाइए -
(क) थर्माकोल का दूसरा नाम है -
(i) टेफ्लॉन                                                  (iii) स्टाइरोन
(ii) नायलॉन                                               (iv) डेक्रान
(ख) पौधों का मुख्य पोषक तत्व है - रा0प्र0खो0परी0 2006
(i) गन्धक                                                (iii) आॅक्सीजन
(ii) नाइट्रोजन                                             (iv) कार्बन
(ग) फेरिक ऑक्साइड मिलाने से निर्मित काँच होता है -
(i) हरा                                                      (iii) गहरा नीला
(ii)पीला                                                   (iv) बैंगनी
(घ) खिड़कियों में प्रयोग किया जाता है ?
(i) कठोर काँच                                      (iii) फोटोक्रोमेटिक काँच
(ii) फ्लिन्ट काँच                                   (iv) साधारण या मृदु काँच
2. सही कथन के सम्मुख (√) तथा गलत कथन के सम्मुख (X) चिन्ह अपनी उत्तर पुस्तिका में अंकित कीजिए-
(क) फोटोक्रोमिक काँच प्राप्त करने के लिये उसमें कुछ सिल्वर आयोडाइड मिलाया जाता है.---------------------------------------------------------(√)
(ख) रेयान प्राकृतिक रेशा है .-------------------------------------------(X)
(ग) सीमेन्ट, साबुन, उर्वरक, प्लास्टिक आदि मानव-निर्मित वस्तुएँ हैं.(√)
(घ) ऐन्टीबायोटिक दवाआें का उपयोग कीटाणुनाशक के रूप में किया जाता है.------------------------------------------------------------------ (X)
3. नीचे दिये गये शब्दों की सहायता से रिक्त स्थानों की पूर्ति अपनी अभ्यास पुस्तिका में कीजिए -
(साबुन, प्राकृतिक, बर्तन, संश्लेषित, पराबैंगनी)
(क) मेलामाइन का उपयोग प्लास्टिक के ......बर्तन ............... बनाने में किया जाता है.
(ख) सूत, रेशम, ऊन .........प्राकृतिक ......... रेशे हैं.
(ग) धूप के चश्में सूर्य की .......पराबैगनी ............... किरणों से आँखों को बचाते हैं .
(घ) सोडियम हाइड्रॉक्साइड और वनस्पति तेल की क्रिया से .साबुन .................. प्राप्त किया जाता है.
(ड़) ....संश्लेषित...... . रेशों से बने कपड़े अधिक टिकाऊ और सस्ते होते हैं.
4. संक्षेप में उत्तर दीजिए -
(क) प्राकृतिक एवं मानव-निर्मित वस्तुआें से क्या समझते हैं ?
प्रकृति से प्राप्त वस्तुओं को प्राकृतिक वस्तुए कहतें है जैसे पर्वत नदियां समुद्र जबकि मानव द्वारा बनाई गई वस्तुओं को मानव निर्मित वस्तुएं कहते हैं। 
(ख) किन्हीं चार प्रकार के काँच का नाम लिखिए.
1]साधारण या मृदु कांच 2 ]फोटोक्रोमैटिक कांच 3 ]  कठोर कांच 
 4 ] फ्लिंट  कांच 
(ग) पॉलीथीन, टेफ्लॉन, एक्रिलिक तथा बेकेलाइट के एक-एक उपयोग लिखिए.
पालीथीन =थैली बनाने मैं 
टेफ़लोन =नॉनस्टिक बर्तन पर कोटिंग करने में 
बबैकलाइट =प्लग ,स्विच कंघा , पेन  बनाने में 
(घ) साबुन और अपमार्जक में क्या अन्तर हैं ?
 रासायनिक रूप में साबुन उच्च वसीय अम्लों के सोडियम तथा पोटैशियम लवण होते हैं. इन्हें प्राय: सोडियम अथवा पोटैशियम हाइड्रॉक्साइड तथा वनस्पति तेल की पारस्परिक क्रिया द्वारा बनाया जाता है.
 डिटर्जेन्ट ही अपमार्जक है जो कठोर जल के साथ भी झाग देने वाला रासायनिक पदार्थ होता है.ये हायड्रोकार्बोन से बनता है 
(ड़) मृतिका क्या है ?
कुम्हार एक विशेष प्रकार की मिट्टी का उपयोग करते हैं जिसे चिकनी मिट्टी या क्ले कहते हैंं. गूँथी हुईं चिकनी मिट्टी से चाक द्वारा पहले कच्चे बर्तन बनाये जाते हैं . फिर उन्हें उच्च ताप पर भट्टी में पकाया जाता है. पके हुए इन बर्तनों को ही मृतिका कहा जाता है.
(च) संश्लेषित रेशे क्या हैं ?
नॉयलान,पॉलिस्टर, डेक्रॉन, रेयॉन आदि मानव निर्मित रेशे हैं . इनमें से बहुत से रेशे पेट्रोलियम पदार्थो से प्राप्त किये जाते हैं . इस प्रकार के रेशों को संश्लेषित रेशे कहते हैं . संश्लेषित रेशे उच्च अणुभार वाले बहुलक यौगिक हैं . (जैसे डेक्रॉन अथवा टेरिलीन, एथिलीन ग्लॉइकॉल तथा डाइमेथिल टरथैलेट का सहबहुलक है
5. खंड `क' के अधूरे वाक्यों को खंड `ख' की सहायता से पूरा कीजिए -

1 ] मनुष्य या मशीनों द्वारा तैयार वस्तुओं को =मानव निर्मित वस्तुएं कहते हैं 
2 ] मकान बनाने में =ईंट सीमेंट सरिया का प्रयोग होता है 
3 ]सीमेंट के नए प्लास्टर पर =पानी का छिड़काव जरुरी होता है 
4]कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए =उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है 
5 ]रेयॉन रेशों को =कृत्रिम रेशा भी कहा जाता है 
6. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर दीजिए -
(क) अनाज के भंडारण की क्या आवश्यकता है तथा यह किस प्रकार सम्भव है ?
=जनसंख्या विस्फोट के कारण अधिक उपज भविष्य की आवश्यकता है . अत: फसल एवं अनाजों का भंडारण आवश्यक हो गया है , सब्जियों, फलों आदि को शीत गृहों में रख कर अधिक दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है . 
(ख) मुख्य उर्वरक कौन-कौन से हैं ? मिश्रित उर्वरक से क्या समझते हैं ?
= . यूरिया, सिंगल सुपर फॉस्फेट, शोरा, मिश्रित (एन0पी0के0), डी0ए0पी0 आदि कुछ प्रमुख उर्वरक हैं. 
मिश्रित उर्वरक में कई तत्व एक साथ होते है जैसे NPK में नाइट्रोजन फॉस्पोरस पोटासियम होते हैं 
(ग) भूमि में पोषक तत्वों की पूर्ति के लिए कौन-कौन से उपाय किये जा सकते हैं ?
पेड़-पौधों की उचित वृद्धि के लिए उचित खाद की आवश्यकता होती है . पेड़-पौधों की वृद्धि के लिए प्रमुख पोषक तत्व नाइट्रोजन, फॉस्फोरस तथा पोटैशियम हैं . इनमें से अधिकांश तत्वों को पौधे मिट्टी से ही प्राप्त करते हैं .भूमि में आवश्यक तत्वों की तत्काल पूर्ति के लिए  उर्वरक  प्रयोग करते हैं 
(घ) धूप में बाहर निकलने पर हम धूप के चश्मों का प्रयोग क्यों करते हैं?
धूप के चश्में आँखों को सूर्य की गर्मी से बचाने के लिए लगाये जाते हैं .
(ड़) संश्लेषित रेशों से बने वस्त्र जल्दी क्यों सूख जाते हैं ?
ये वस्त्र हलके होते हैं और पानी को अवशोषित नहीं होने देते 

Friday, July 20, 2018

SCIENCE ACTIVITIES CLASS 6 FROM TEXT BOOK [IN HINDI]

क्रिया कलाप 1.1

आप अपने चारों ओर की वस्तुआें का अवलोकन करते हुए उन दस-दस वस्तुआें की सूची बनाइये, जो आपको प्राकृतिक रूप से प्राप्त हैं तथा जिन्हें मनुष्य द्वारा बनाया गया है।
================================================


क्रिया कलाप 2.1

आइए प्रतिदिन उपयोग होने वाली कुछ निर्जीव वस्तुआें को अपने परिवेश से एकत्र करें।इस एकत्रित संग्रह में हमारे पास क्या होगा ? बाल्टी, कील, खुरपी, कुदाल, थाली, पहिया, बल्ला, रैकेट, मग आदि।इन वस्तुआें को ध्यान से देखिये तथा प्रत्येक वस्तु जिन-जिन पदार्थो से बनी है उनको पहचानने का प्रयास कीजिए।बाल्टी प्लास्टिक और लोहे से बनीहै।कुदाल तथा खुरपी लोहे एवं लकड़ी से बनीहै।पुस्तक कागज से बनी है।इस प्रकार हम देखते हैं कि कोई वस्तु एक ही पदार्थ से बनी होती है तो ऐसा भी होताहै कि एक ही वस्तु कई पदार्थो से बनी हो सकती है।एक ही पदार्थ के उपयोग से कई वस्तुएँ बनाई जा सकती हैं।हमने पाया कि वस्तुएँ विभिन्न पदार्थो से बनी हैं।जिस कार्य के लिए हमें वस्तु बनानी होती है उसी के अनुसार हम पदार्थ को भी चुनते हैं, जैसे गिलास, काँच अथवा स्टील (धातु) के बनाये जा सकते हैं।

क्रिया कलाप 2.2

काँच की गोली को एक थैले से निकालकर हाथ में लें, फिर गिलास में रखे और देखें कि क्या उसकी बनावट एवं आकार में कोई परिवर्तन होता है ? काँच की गोली को थैले में लें, हाथ में लें अथवा गिलास में लें इसका आकार व आयतन निश्चित होता है।इसी प्रकार शक्कर या नमक को अपने हाथ में लें या किसी प्लेट या जार में रखें।इनके क्रिस्टलों के आकार नहीं बदलते हैं। ठोस पदार्थो में कण (अणु) बहुत पास-पास होते हैं, इनमें आपसी आकर्षण बल बहुत अधिक होता है जो इन्हें एक साथ बाँधे रखता है।


क्रिया कलाप 2.3
ठोस 
जल, दूध, खाना पकाने का तेल आदि द्रव पदार्थो को अलग-अलग गिलास में एकत्रित करें।इन पदार्थोको अलग-अलग बर्तन में रखें।आप क्या देखते हैंं ? द्रव को जिस बर्तन में रखते हैं ये उसी का आकार ले लेते हैं।
ठोस पदार्थो की तुलना में द्रवों के अणु एक दूसरे से दूर-दूर होते हैं ।इनमें आपसी आकर्षण बल ठोस की तुलना में कम होता है जो इन्हें एक साथ व्यवस्थित रखता है।

क्रिया कलाप 2.4
गैस 

आपने खेत जोतते हुए ट्रैक्टर को,सड़क पर मोटर कार तथा मोटर साइकिल को चलते हुए, घर में जलती हुई अगरबत्ती को देखा होगा।आपने यह भी देखा होगा कि इनमें से काले भूरे रंग का धुआँ निकलता है।इस अवस्था में पदार्थो की बनावट एवं आयतन दोनों निश्चित नहीं होते।ये जिस स्थान में रखे जाते हैं उसी की बनावट और आयतन ग्रहण कर लेते हैं।गैसीय पदार्थो में कण अपेक्षाकृत बहुत दूर-दूर होते हैं और इनमें आपसी आकर्षण बल नहीं के बराबर होता है ।इसी प्रकार आपने अनुभव किया होगा कि इत्र की शीशी खोली जाय तो उसकी सुगन्ध काफी दूर तक पहुंच जाती है।

क्रिया कलाप 2.5
जल में घुलनशील तथा अघुलनशील पदार्थ

काँच के अलग-अलग गिलासों में नमक, रेत, शक्कर,चॉक पाउडर, मिट्टी का तेल, खाने का सोडा, लकड़ी के बुरादे की थोड़ी-थोड़ी मात्रा लें।काँच के प्रत्येक गिलास को पानी से आधा-आधा भरें।कुछ समय तक काँच के गिलास को हिलायें।क्या देखते हैं? क्या कुछ पदार्थ पानी में लुप्त हो जाते है ? इसका अर्थ है कि यह पदार्थ पानी में घुल जाते हैं।जो पदार्थ पानी में घुल जाते हैं उनकी सूची बनायें।किसी द्रव जैसे पानी में घुलने वाले पदार्थो को घुलनशील या विलेय पदार्थ कहते हैं।

जो पदार्थ पानी में नहीं घुलते हैं, उनकी भी सूची बनायें।किसी द्रव जैसे पानी में न घुलने वाले पदार्थ को अघुलनशील या अविलेय पदार्थ कहते हैं।कुछ पदार्थ ऐसे होते हैं जो एक द्रव में घुलनशील परन्तु दूसरे में अघुलनशीलहै।जैसे नमक पानी में घुलनशील है किन्तु मिट्टी के तेल में अघुलनशील है।


क्रिया कलाप 2.6
चुम्बकीय तथा अचुम्बकीय पदार्थ

अपने बस्ते में से पेन, पेन्सिल, कम्पास, परकार, रबर, चॉक आदि लेंं।इसके आतिरिक्त लोहे की कुछ कीलें, लकड़ी का बुरादा, चॉक पाउडर, प्लास्टिक के बटन, आलपिन तथा स्टील की चम्मच को किसी कागज पर अलग-अलग रखें।एक छड़ चुम्बक लें।प्रत्येक वस्तु के पास बारी-बारी से चुम्बक को लायें।क्या देखते हैं?

क्रिया कलाप 2.7
अणु 

चॉक अथवा कोयले का बड़ा टुकड़ा लीजिए।इसे पीटकर टुकड़ों में विभाजित कर लें।इसके हर टुकड़े में उस पदार्थ के गुण विद्यमान हैं।अब इसे इतना अधिक पीसें कि यह पाउडर के रूप में आ जाय।अब इस पाउडर को किसी महीन कपड़े से छान लें, छानने पर बहुत महीन कण प्राप्त होते हैं अर्थात छोटे कण भी अत्यधिक छोटे अनेक कणों से मिलकर बने हैं।हम इस प्रकार और आति सूक्ष्म कण की कल्पना कर सकते हैं।

उपरोक्त क्रिया कलाप से उपरोक्त स्पष्ट है कि पदार्थ स्वयं सूक्ष्म कणों से मिलकर बने होते है जिन्हें अणु या परमाणु कहते है।
================================================

क्रिया कलाप 3.1

विषमांगी मिश्रण 

एक कागज पर थोड़ी बालू और लोहे की छीलन को मिला कर रखिए।आपने क्या देखा ? बालू और लोहे की छीलन अलग-अलग दिखायी देती है ।ऐसे मिश्रण जिसमें उनके अवयवी पदार्थो को सामान्यत: अलग-अलग देखा जा सकता है,विषमांगी मिश्रण (heterogeneous mixture) कहलाते हैं।एेसे मिश्रण में सभी घटक समान रूप से वितरित नहीं होते।अत: ऐसे मिश्रण के दो नमूने भिन्न हो सकते हैं।

क्रिया कलाप 3.2

समांगी मिश्रण 

एक गिलास लें ।उसके आधे भाग तक पानी भरें ।इसमें थोड़ी मात्रा में चीनी घोलें ।क्या इस मिश्रण में चीनी और पानी को अलग-अलग देखा जा सकता है ? ऐसे मिश्रण जिनमें दो या दो से अधिक अवयव उपस्थित रहते हैं किन्तु उन्हें अलग-अलग देखा नहीं जा सकताहै, समांगी मिश्रण (homogeneous mixture) कहलाते हैं ।एेसे मिश्रण में कोई दो नमूने एक से होते है।

क्रिया कलाप 3.3

ऊरधपातन 

काँच की प्याली में कपूर और साधारण नमक का मिश्रण लें ।अब एक कीप जिसमें फिल्टर पत्र लगा हो, को  इस पर उलट कर रखें ।कीप की पतली नली के सिरे पर थोड़ी भीगी रुई रखें।पानी से भीगी रुई कीप के बाहरी भाग में लपेट दें।अब प्याली को चित्र की भांति रख कर तब तक गरम करें जब तक मिश्रण से धुआँ न उठने लगे।आप क्या देखते हैं ? यह धुआँ कीप के ठंडे भाग तक पहुँचने पर फिर से ठोस कपूर में परिवर्तित हो जाताहै।इस प्रकार कपूर मिश्रण से पृथक हो जाताहै।इस प्रक्रिया को जिसमें ठोस पदार्थ गरम करने पर बिना द्रवित हुये ही सीधे वाष्म में बदल जाते हैं और ठण्डा होने पर वाष्प सीधे ठोस पदार्थ में बदल जातेहै, ऊर्ध्वपातन कहते हैं ।आयोडीन और नैफ्थलीन को भी अन्य मिश्रणों से इसी विधि द्वारा पृथक किया जाताहै।

क्रिया कलाप 3.4

तलछटीकरण और निथारना

एक बीकर या गिलास में पानी लें ।उसमें थोड़ी बालू मिलायें।अब इसे थोड़ी देर के लिए रखा रहने दें ।हम देखते हैं कि बालू बीकर में नीचे बैठ जातीहै और पानी ऊपर आ जाताहै ।अब एक छड़ के सहारे   बीकर के पानी को दूसरे बीकर या गिलास में अलग कर लें ।इस प्रकार बालू और पानी के मिश्रण से बालू को अलग करना तलछटीकरण और पानी को पृथक करना निथारना कहतेहैं 

तलछटीकरण अथवा निथारने की क्रिया द्वारा ठोस तथा द्रव के उन्हीं मिश्रणों के घटकों को पृथक किया जा सकता है जो द्रव में अघुलनशील हों तथा भारी होने के कारण उसकी पेंदी में बैठ जाते हों।


क्रिया कलाप 3.5

•अपकेन्द्रण
एक छन्ना कागज लें ।उसे तिकोनी आकृति में मोड़ कर एक फनल में लगायें ।फनल के नीचे एक बीकर रखें ।अब एक दूसरे बीकर या गिलास में मिट्टी मिला हुआ गंदा पानी लेकर उसे धीरे-धीरे फनल में डाले।हम देखते हैैं कि साफ पानी फनल से निकल कर बीकर मेें एकत्र होताहै ।यह प्रक्रिया भी छानना ही है।यहाँ मिश्रण में से सूक्ष्म आकार के अघुलनशील पदार्थ को पृथक करने के लिए सूक्ष्म छिद्रों वाला छन्ना कागज (फिलटर पेपर)उपयोग किया गया।अत: छन्ने का चयन मिश्रण के कणों के आकार के अनुसार किया जाता है।

क्रिया कलाप 3.6
 वाष्पन विधि :
लगभग आधा मग पानी लें और उसमें नमक घोलें।इस पानी को चित्रानुसार गर्म करें।थोड़ी देर बाद हम देखते हैं कि बीकर का सारा पानी वाष्प बनकर उड़ जाताहै और बीकर में नमक शेष रह जाताहै ।इसी विधि द्वारा समुद्र से नमक प्राप्त किया जाता है।किसी द्रव का वाष्प में परिवर्तित होना वाष्पन कहलाता है ।यह क्रिया प्रत्येक ताप पर निरन्तर होती रहती है।
क्रिया कलाप 3.7
आसवन विधि 
एक धातु की प्लेट लीजिए जिस पर कुछ बर्फ रखी हो।प्लेट को केतली की टोंटी के ठीक ऊपर पकड़िए गर्म करने पर केतली का सारा पानी भाप में बदल जाता है, जब भाप बर्फ से ठंडी की गई प्लेट के सम्पर्क में आती है तो वह द्रव जल बन जाती है।यह द्रव बूंद-बूंद बनकर बीकर में इकट्ठा हो जाता है।भाप का द्रव में परिवर्तित होने की क्रिया को संघनन कहते 

क्रिया कलाप 3.8
•क्रिस्टलीकरण
एक बीकर में आधे भाग से अधिक पानी भरें।इसमें फिटकरी को तब तक घोलते जायें जब तक कि पानी में फिटकरी का घुलना बन्द न हो जाये ,तो ऐसे विलयन को संतृप्त विलयन कहते है इस घोल को गरम करें।गरम करने पर फिटकरी की जल में विलेयता बढ़ जाती है, अर्थात् फिटकरी की कुछ और मात्रा जल में घुल जाती है।अब इस घोल को बिना हिलाये ठंडा करें।कुछ घंटों बाद फिटकरी के शुद्ध क्रिस्टल प्राप्त हो जाते हैं ।इस प्रक्रिया को क्रिस्टलीकरण कहते हैं

क्रिया कलाप 3.9
 दो अमिश्रणीय द्रवों को पृथक करना
पानी और मिट्टी के तेल का मिश्रण लें ।इस मिश्रण को पृथक्कारी कीप में डालें और हिला कर स्थिर होने दें ।क्या देखते हैं ? कीप में दो पृथक पर्ते दिखाई पड़ती हैं ।दोनों पर्तो को पहचाने।कौन सी परत ऊपरहै ? मिट्टी का तेल पानी से हल्का होता है, इसलिए यह पानी के ऊपर एकत्र हो जाता है। अब पृथक्कारी कीप की स्टाप काक को खोलें और निचली पर्त में एकत्र द्रव को एक बीकर में निकाल कर एकत्र करें।एकत्र किया द्रव पानी है।कीप में बचा द्रव मिट्टी का तेल है ।आप देखेंगे कि केवल एक या दो बूँद पानी ही मिट्टी के तेल में शेष बचा रहता है, बाकी पानी मिट्टी के तेल से पृथक कर लिया जाता है।
================================================
क्रिया कलाप 4.1
कमरे की लम्बाई को पग (कदमों) से नापकर फिर फीते से नापें और तालिका  भरे
नोट 
1 इंच=2.54सेमी.(cm)
1 फुट = 12इंच= 30.48सेमी.(cm)
1 गज= 3 फुट
1 मी.(m) = 100सेमी.(cm)
1कि.मी.(km) = 1000 m

क्रिया कलाप 4.2

 पटरी में अंकित शून्य को किताब की लम्बाई के एक सिरे पर रखें ।
•किताब के दूसरे सिरे के ठीक सीध में आँख को रख कर पटरी पर पाठ्यांक (अंक)को देखें।
•पटरी का पाठ्यांक (अंक) नोट करें।यह पाठ्यांक (अंक) क्या बताताहै? यह पाठ्यांक (अंक)किताब की लम्बाई बताता है।
•सही पाठ्यांक के लिए आँख को पैमाने की सीध में रखते हैं न कि दायें-बायें ऐसा करना क्यों आवश्यक है ?
जरा सोचो- क्या किसी किताब की लम्बाई पटरी में अंकित शून्य के स्थान पर किसी और अंक से प्रारम्भ करके भी नापी जा सकती है।

क्रिया कलाप 4.3

अधोलिखित तालिका में दी गई वस्तुआें की सही माप लेकर उनके सामने लिखें -
1. बेंच की लम्बाई--------------------------------------------------
 2 कमरे की चोड़ाई -----------------------------------------------------
3 पेंसिल की लम्बाई ----------------------------------------------------
4 दरवाजे की ऊंचाई ----------------------------------------------------

क्रिया कलाप 4.4

अधोलिखित तालिका  में दी गई वस्तुआें की लम्बाई, चौड़ाई माप कर क्षेत्रफल ज्ञात करें -
1 . श्यामपट्ट का क्षेत्रपाल -----------------------------------------------
2 मेज -------------------------------------------------------------------
3 कैरम बोर्ड -------------------------------------------------------------
4 कमरे का दरवाजा ----------------------------------------------------
नोट 
1 एअर = 100 m 2
1 हेक्टेयर = 100 एअर
= 100X100 m 2
= 10,000 m 2
1 डेसिमल= 40 m 2
1 एकड़ = 100 डेसिमल
= 4000 m 2
1 हेक्टेयर = 2.5 एकड़

क्रिया कलाप 4.5

अधोलिखित तालिका में दी गयी वस्तुआें का लम्बाई चौड़ाई और ऊँचाई माप कर आयतन ज्ञात करें :-
1 ईंट -------------------------------------------------------------------
2 बॉक्स ---------------------------------------------------------------
3 कांच का गुटका------------------------------------------------------
4. पुस्तक -------------------------------------------------------------
नोट 
बर्तन के धारिता की माप लीटर में की जाती है।
1000 घन सेन्टीमीटर (cm3)= 1 लीटर (L)
1000 लीटर (L)= 1घन मीटर (m3)

क्रिया कलाप 4.6
•तीन खाली गिलास लें ।
•एक गिलास में ठंडा जल, दूसरे में गुनगुना जल तथा तीसरे में गरम जल लें ।
•एक हाथ की अँगुलियों को ठण्डे जल तथा दूसरे हाथ की अँगुलियों को गरम जल में कुछ समय तक डुबोये रखे
•अब दोनों हाथों की अँगुलियों को गुनगुने पानी में डुबोये ।क्या अनुभव होता है?
क्या ठंडे पानी में रखी अँगुलियों को गुनगुना पानी गरम और गरम पानी वाली को यह पानी ठंडा अनुभव होता है?
-----------------------------------------------------------------------------

क्रिया कलाप 5.1

तालिका में दिये गये परिवर्तनों को मंद और तीव्र परिवर्तन में वर्गीकृत कीजिए।
1 दूध का दही जमना 
2 रोटी में फफूंद लगना 
3 कपडे का सूखना 

क्रिया कलाप 5.2
 प्रत्यावर्तित परिवर्तन
एक गुब्बारा लीजिए और उसे फुलाइए।(चित्र 5.2) सावधानी रखें कि वह फट न जाए।आप देखेंगे कि गुब्बारे का आकार फूल कर बड़ा हो जाता है।अब उसकी हवा निकाल दीजिए।वह फिर अपनी पुरानी अवस्था में आ जाता है।गुब्बारे का फूलना एक प्रत्यावर्तित परिवर्तन है क्योंकि हवा निकाल देने पर गुब्बारा पुन: अपनी पहली स्थिति में आ जाता है।क्या सभी परिवर्तन प्रत्यावर्तित किये जा सकते हैं ?

क्रिया कलाप 5.3

दो चम्मच नमक लें, एक कटोरी में थोड़ा पानी लेकर उसमें नमक को घोलें ।अब इस घोल को तब तक गरम करें जब तक सारा पानी वाष्पित न हो जाए ।क्या दिखाई देता है ? बीकर की तली में सफेद पदार्थ दिखाई देताहै ।इसे चखें ।यह पदार्थ नमक है ।
क्रिया कलाप 5.4 
• भौतिक परिवर्तन

एक चीनी मिट्टी की प्याली में मोम का एक ठोस टुकड़ा लेकर चित्र 5.4 की भाँति पिघलायें।ठोस मोम द्रव में बदल जाती है।अब प्याली को ज्वाला से हटाकर कुछ देर रखा रहने दें।हम देखते हैं कि मोम पुन: ठोस अवस्था में बदलने लगता है।ऊपर के दोनों उदाहरणों में क्या कोई नया पदार्थ बन रहा है ?इन सभी परिवर्तनों में कोई नया पदार्थ नहीं बना तथा पदार्थ के अणुआें की संरचना में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
• भौतिक परिवर्तन में पदार्थ का रूप बदल जाता है परन्तु कोई नया पदार्थ नहीं बनता ।भौतिक परिवर्तन के पश्चात समान्यत: पदार्थ की पूर्व स्थिति पुन: प्राप्त की जा सकती है।

क्रिया कलाप 5.5
•रासायनिक परिवर्तन
मैग्नीशियम की पतली पट्टी (फीता) अथवा तार का टुकड़ा लीजिए।इसके एक सिरे को मोमबत्ती की लौ के पास ले जाइए।यह श्वेत प्रकाश देती हुई जलने लगेगी। पूरी जलने के बाद सफेद रंग का पाउडर शेष बच जाताहै।क्या यह सफेद पाउडर मैग्नीशियम के फीते जैसा लगता है ? नही, यह एक नया पदार्थ है।यह परिवर्तन रासायनिक परिवर्तन है।मोम बत्ती का जलना भी एक रासायनिक परिवर्तन है।
•रासायनिक परिवर्तन में एक या एक से अधिक नया पदार्थ बनता है जिससे सामान्यतया पूर्व पदार्थो को 
नहीं किया जा सकता है।
सावधानी
रसायन को न चखें,  मैग्नीशियम के जलते हुए फीते (अथवा तार) की ओर लम्बे समय तक देखना हानिकारक है।जलते हुए मैग्नीशियम की ओर अधिक समय तक टकटकी लगाकर न देखें ।

क्रिया कलाप 5.6

काँच के दो बीकर लें, दोनों में आधे भाग तक पानी भरें ।अब दोनों बीकरों में एक-एक चम्मच चीनी डालें ।एक बीकर को ऐसे ही रहने दें तथा दूसरे को चम्मच से हिलाएं ।क्या दिखाई देता है ? जिस बीकर में पानी तथा चीनी को नहीं हिलाया गया उसमें चीनी देर में घुलती है जबकि दूसरे बीकर में चम्मच से हिलाने पर घुलने की प्रक्रिया तेज हो जाती है ।
दो या दो से अधिक पदार्थो में परिवर्तन एक दूसरे के सम्पर्क के कारण होता है।

क्रिया कलाप 5.7

चीनी मिट्टी की एक प्याली लें ।उसमें दो चम्मच चीनी लें ।अब प्याली को गरम करें तथा चीनी में होने वाले परिवर्तन को देखें।क्या दिखाई देताहै ? चीनी प्याली में पिघलने लगती है और थोड़ी देर बाद चीनी काली पड़ जातीहै।ठंडा करने पर यह काले ठोस में बदल जाती है ।क्या निष्कर्ष निकलताहै ? ऊष्मा के प्रभाव से चीनी के रंग तथा गुणों में परिवर्तन हो जाता है ।ये काले ठोस के रूप में बदल जाती है ।क्या चीनी के जलने से प्राप्त काले ठोस के गुण चीनी के गुणों से भिन्न होते हैं ? चीनी के जलने से प्राप्त काले ठोस के भौतिक तथा रासायनिक गुण चीनी से भिन्न होते हैं ।इस काले ठोस को ``शुगर चारकोल'' कहते हैं ।
प्रतिक्रिया द्वारा क्रिया करने वाले पदार्थोके आकार, रंग, स्थिति (भौतिक एवं रासायनिक गुणों) में परिवर्तन हो जाताहै ।

क्रिया कलाप 5.8

एक परखनली लीजिए, उसमें तीन चौथाई पानी भरें।पानी में थोड़ा बिना बुझा चूना मिलायें।परखनली को छूकर देखें।क्या अनुभव करते हैं ? परखनली गर्म हो जाती है,क्योंकि बिना बुझे चूने के पानी में घुलने पर ऊष्मा मुक्त होती है।घरों में चूने द्वारा पुताई करते समय आपने इस क्रिया को देखा होगा।क्या आपने सोचा है कि इन परिवर्तनों के पीछे क्या कारण है ? इन परिवर्तनों में ऊर्जा का आदान प्रदान होताहै।विभिन्न परिवर्तनों में भिन्न-भिन्न प्रकार की ऊर्जा का उपयोग होताहै।आइये देखें किस प्रकार की ऊर्जा का उपयोग कहाँ हो रहा है।अनेक परिवर्तनों में ऊर्जा एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित भी होती है।


क्रिया कलाप 5.9

एक बीकर में 100 ml जल लें, उसमेें कॉस्टिक सोडा की थोड़ी सी मात्रा घोलें।छूकर देखें कैसा महसूस करते हैं।इस क्रिया में ऊष्मा ऊर्जा मुक्त होती है।जिससे छूने पर बीकर गर्म महसूस होता है।
कुछ परिवर्तनों में ऊष्मीय ऊर्जा उत्पन्न होती है ।
इसी प्रकार थोड़ा ग्लूकोस अपनी जीभ पर रखें या थोड़ा सा एल्कोहल अपनी हथेली पर रखें ।कैसा अनुभव करते हैं ?
दोनों ही परिस्थितियों में ऊष्मा ऊर्जा अवशोषित होती है इसलिए जीभ तथा हथेली पर ठंडक महसूस होती है ।
क्रिया कलाप 5.10
एक हैन्ड लेंस लें ।इसे सूर्य के प्रकाश के सामने रखें ।अब एक कागज लें ।हैन्ड लेंस को ऊपर - नीचे करके सूर्य की किरणों को कागज पर केन्द्रित करें ।कागज गरम होकर जलने लगता है ।यह परिवर्तन सौर ऊर्जा के कारण होता है ।सोलर कुकर में सौर ऊर्जा ऊष्मीय ऊर्जा के रूप में परिवर्तित होकर भोजन पकाती है ।
क्रिया कलाप 5.11
एक कागज पर कुछ आलपिन रखें ।एक छड़ चुम्बक को इनके पास लायें ।क्या होता है ? आलपिनें चुम्बक से चिपक जाती हैं।प्रत्येक में चुम्बकीय गुण आ जाताहै।लोहे की भारी वस्तु को उठाने के लिए क्रेन में चुम्बक का प्रयोग किया जाता है।

================================================

क्रिया कलाप 6.1

•आइए लगभग एक मीटर लम्बी मजबूत डोरी लें ।
•डोरी के एक सिरे से पत्थर का एक छोटा टुकड़ा अच्छी तरह से बाँधें ।
•डोरी के दूसरे सिरे को हाथ से पकड़ कर अपने चारों ओर क्षैतिज तल में घुमाएँ।
• पत्थर के टुकड़े की गति का मार्ग कैसा है ?
इस प्रकार की गति को वृत्तीय गति कहते हैं ।
सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की गति, पृथ्वी के चारों ओर चन्द्रमा की गति, कोल्हू चलाते हुए बैल की गति, वृत्तीय गति के कुछ उदाहरण हैं।
क्रिया कलाप 6.2

• आप सभी लट्टू से परिचित हैं।एक लट्टू को डोरी से लपेटकर घुमाएं।
• घूमते हुए लट्टू को ध्यान से देखें ।
• लट्टू किस प्रकार की गति कर रहा है ?
लट्टू घूर्णन गति कर रहा है।घूर्णन गति में सम्पूर्ण वस्तु एक स्थान से दूसरे स्थान को स्थानान्तरित नहीं होती है बल्कि वह अपने धुरी (घूर्णन अक्ष)के चारों ओर घूमती है ।
बर्तन बनाने वाले कुम्हार का चाक, घूमती हुई फिरकी, पंखे तथा कुएं से पानी निकालने वाली घिरनी घूर्णन गति के उदाहरण हैं।जब कोई वस्तु अपने अक्ष के चारों ओर घूमती है तो उसकी गति घूर्णन गति कहलाती है।
क्रिया कलाप 6.3

• पत्थर का एक छोटा टुकड़ा तथा एक मीटर लम्बा एेंठन रहित धागा लें।
• धागे के एक सिरे से पत्थर के टुकड़े को बाँधें ।
• धागे के दूसरे सिरे को किसी खूँटी या हुक से बाँधकर पत्थर के टुकड़े को लटकाएँ।
• धागे से लटके हुए पत्थर के टुकड़े को एक तरफ खींच कर छोड़ दें।
पत्थर का टुकड़ा अपनी स्थिर स्थिति के दोनों ओर गति करने लगताहै।यह किस प्रकार की गति है ? इस प्रकार की गति को दोलन गति कहते हैं।
झूले में झूलते हुए बच्चे की गति , किसी स्प्रिंग में लटके हुए पिण्ड की गति, दीवार घड़ी के पेन्डुलम की गति किस प्रकार की गति है ?
जब कोई वस्तु अपने माध्य स्थिति के दोनों ओर गति करती है तो इस प्रकार की गति को दोलन गति कहते हैं।
क्रिया कलाप 6.4

• एक फोम या स्पंज का टुकड़ा लें ।
• टुकड़े को मेज पर रखकर आप अपने हाथ से दबाएँ, क्या होता है ?
फोम या स्पंज का टुकड़ा दब जाता है तथा उसकी आकृति बदल जाती है ।इसी प्रकार किसी रबर बैण्ड को दोनों हाथों से खींचने पर उसकी आकृति बदल जाती है।इससे क्या निष्कर्ष निकलता है।
 बल द्वारा किसी वस्तु की आकृति में परिवर्तन किया जा सकता है ।

क्रिया कलाप 6.5

•आप अपने दोनों हाथों में एक ईंट को लेकर ऊपर की ओर उठाएँ।
• ईंट को ऊपर की ओर उठाने में लगाये गये बल का अनुभव करें ।
•उसी आकार की दो ईंटाें को ऊपर की ओर उठाएँ।
•दोनों बार ईंटों को उठाने में किस दशा में अधिक बल लगाना पड़ता है
 दो ईंटों को उठाने में, एक ईंट की अपेक्षा अधिक बल लगाना पड़ता है ।हल्की वस्तुआें को उठाने में कम बल तथा भारी वस्तुआें को उठाने में अधिक बल लगाया जाताहै।
क्रिया कलाप 6.6
• पत्थर का एक छोटा टुकड़ा लें।इसे ऊपर की ओर फेंकें।
•कुछ समय बाद आप क्या देखते हैं ?
•पत्थर का टुकड़ा कुछ ऊँचाई तक जाकर जमीन पर गिर जाता है।
पृथ्वी,पत्थर के टुकड़े को अपने केन्द्र की ओर आकर्षित करती है। पृथ्वी के इस आकर्षण बल को गुरुत्व बल कहते हैं।सभी वस्तुआें पर गुरुत्व बल कार्य करता है।
पृथ्वी प्रत्येक वस्तु को अपने केन्द्र की ओर खींचती है।



क्रिया कलाप 6.7
 चुम्बकीय बल 
• लोहे की छोटी-छोटी कीलें तथा एक दण्ड चुम्बक लें ।
• कीलों को मेज के ऊपर रखें ।
•चुम्बक को कीलों के पास तक ले जाएँ।आप क्या देखते हैं ?
चुम्बक लोहे की कीलों को अपनी ओर खींच लेताहै ।चुम्बक द्वारा कीलों पर लगाए गये इस बल को चुम्बकीय बल कहते हैं।
किसी चुम्बक द्वारा किसी अन्य चुम्बक तथा चुम्बकीय पदार्थो पर लगाया गया बल चुम्बकीय बल कहलाता है।



क्रिया कलाप 6.8
.विद्युतीय बल :
• कागज के छोटे-छोटे टुकड़े लें ।
• प्लास्टिक के पैमाने (स्केल) को सूखे बालों अथवा कागज से रगड़ कर टुकड़ों के पास ले जाएँ।क्या देखते हैं ? कागज के टुकड़े प्लास्टिक के स्केल की ओर आकर्षित होने लगतेहै क्यों ? ऐसा विद्युतीय बल लगने के कारण होता है ।

क्रिया कलाप 6.9 

. घर्षण बल :
• एक पुस्तक लें ।पुस्तक को मेज की सतह पर सरका कर छोड़ दें ।क्या होता है ?
•पुस्तक मेज पर थोड़ी दूर जाकर रुक जातीहै।आप जानते हैं कि किसी गतिशील वस्तु को रोकने के लिए गति के विपरीत दिशा में बल लगाने की आवश्यकता होती है ।क्या पुस्तक को रोकने में किसी बल का प्रयोग हुआ ?

जब पुस्तक मेज की सतह पर सरकती है तो उसके सम्पर्क तल पर उसकी गति को विरोध करने वाला एक बल लगता है ।इस बल को घर्षण बल या घर्षण कहते हैं ।यह वस्तु और सतह के बीच रगड़ द्वारा उत्पन्न बल है जो से सापेक्ष गति का विरोध करता है।

किन्हीं दो सतह के सम्पर्क तलों के बीच सापेक्ष गति का विरोध करने वाले बल को घर्षण बल कहते हैं।

क्रिया कलाप 6.10

•लगभग 50 cmलम्बा तथा 15 cmचौड़ा लकड़ी का पटरा लें।
• लकड़ी के पटरे को पक्के फर्श पर एक ईंट की सहायता से झुका कर रखें।
• एक छोटी गेंद को झुके हुए पटरे के ऊपरी सिरे से छोड़े।
• गेंद द्वारा पक्के समतल फर्श पर चली दूरी को नाप लें ।
• इसके पश्चात् यही प्रयोग कच्चे फर्श पर करें तथा कच्चे फर्श पर गेंद द्वारा चली गयी दूरी नाप लें।
• किस फर्श पर गेंद द्वारा चली गयी दूरी अधिक है ? यह दूरी पक्के फर्श पर अधिक क्यों है ?
•पक्के (चिकने) फर्श पर घर्षण बल कम तथा कच्चे (खुरदरे) फर्श पर घर्षण बल अधिक लगता है।

क्रिया कलाप 6.11

• किसी भारी पत्थर को हाथ से उठाने या खिसकाने का प्रयास करें ।
•मजबूत लकड़ी की लाठी या संभल की सहायता से पत्थर को उठाने का प्रयास करें ।
क्या होता है ? भारी पत्थर आसानी से उठ जाताहै ।इस प्रकार उपयोग में लायी गयी लाठी एक उत्तोलक है ।
भारी पत्थर को उठाने में लाठी के नीचे टेक लगाना पड़ताहै ।यह टेक आलम्ब कहलाता है
क्या सभी उत्तोलक एक ही प्रकार के होते हैं ?
आयास, आलम्ब तथा भार की स्थितियों के अनुसार उत्तोलक तीन प्रकार के होते हैं ।

प्रथम प्रकार के उत्तोलक :-

जिन उत्तोलकों में आयास (बल) और भार के मध्य आलम्ब होताहै, वे प्रथम प्रकार के उत्तोलक कहलाते हैं ।
जैसे -हैण्डपम्प, कील निकालने वाली हथौड़ी, प्लायर्स, सीसाॅझूला, दण्ड तुला आदि।
द्वितीय प्रकार के उत्तोलक :-
जिन उत्तोलकों में भार, आलम्ब तथा आयास के मध्य होता है, वे द्वितीयक प्रकार के उत्तोलक कहलाते है।
पहिये वाली ट्राली, सरौता तथा बोतल का ढक्कन खोलने वाला यंत्र आदि।
तीसरे प्रकार के उत्तोलक :-
इस प्रकार के उत्तोलकों में आयास, भार और आलम्ब के बीच होताहै ।जैसे -चिमटी, नेल कटर, झाड़ू सीढ़ी आदि


क्रिया कलाप 6.12

• लोहे के भारी बाँक्स को उठाकर ट्रक पर रखने का प्रयास करेें।लकड़ी का एक मजबूत पटरा लें ।
•पटरे को ट्रक से पृथ्वी पर झुका कर रखें ।
•अब लोहे के बाँक्स को पटरे की सहायता से ट्रक पर चढ़ायें।क्या होता है ?
झुके हुए तल की सहायता से भारी भार को ट्रक पर चढ़ाने में आसानी होती है।
झुका तल एक सरल मशीन की तरह कार्य करता है ।

घिरनी (पुली):-

घिरनी की सहायता से कुएँ से पानी बड़ी आसानी एवं सुविधाजनक तरीके से निकाल सकते हैं ।घिरनी एक सरल मशीन है ।यह चल तथा अचल दोनों तरह व्यवस्थित हो सकती हैं

पेंच (स्क्रू) :-

किसी मोटर वाहन के पहिए को निकालने में उसके धुरादण्ड को उठाने के लिए स्क्रूजैक का प्रयोग किया जाता है ।

पहिया और धुरी :-

रेलवे स्टेशनों पर कुलियों द्वारा प्रयोग की जाने वाली ट्राली में पहिया और धुरी लगी होतीहै ।ट्राली की सहायता से कुली बड़ी आसानी व सुविधाजनक तरीके से भारी बोझ को एक स्थान से दूसरे स्थान तक कम बल लगा कर ले जाते हैं ।नट बोल्ट, स्ट्रेचर ट्राली भी पहिया धुरी सिद्धान्त पर कार्य करते हैं 























गणित ओलंपियाड अभ्यास प्रश्न भाग 1 संख्याएं dr Parag misra

यहाँ कक्षा 5, अध्याय 1 "संख्याएँ" (UP Board, गणित) पर आधारित 15 बहुविकल्पीय प्रश्न (MCQs) हिंदी में दिए गए हैं: --- अध्याय 1: संख्...