Friday, July 20, 2018

SCIENCE ACTIVITIES CLASS 6 FROM TEXT BOOK [IN HINDI]

क्रिया कलाप 1.1

आप अपने चारों ओर की वस्तुआें का अवलोकन करते हुए उन दस-दस वस्तुआें की सूची बनाइये, जो आपको प्राकृतिक रूप से प्राप्त हैं तथा जिन्हें मनुष्य द्वारा बनाया गया है।
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क्रिया कलाप 2.1

आइए प्रतिदिन उपयोग होने वाली कुछ निर्जीव वस्तुआें को अपने परिवेश से एकत्र करें।इस एकत्रित संग्रह में हमारे पास क्या होगा ? बाल्टी, कील, खुरपी, कुदाल, थाली, पहिया, बल्ला, रैकेट, मग आदि।इन वस्तुआें को ध्यान से देखिये तथा प्रत्येक वस्तु जिन-जिन पदार्थो से बनी है उनको पहचानने का प्रयास कीजिए।बाल्टी प्लास्टिक और लोहे से बनीहै।कुदाल तथा खुरपी लोहे एवं लकड़ी से बनीहै।पुस्तक कागज से बनी है।इस प्रकार हम देखते हैं कि कोई वस्तु एक ही पदार्थ से बनी होती है तो ऐसा भी होताहै कि एक ही वस्तु कई पदार्थो से बनी हो सकती है।एक ही पदार्थ के उपयोग से कई वस्तुएँ बनाई जा सकती हैं।हमने पाया कि वस्तुएँ विभिन्न पदार्थो से बनी हैं।जिस कार्य के लिए हमें वस्तु बनानी होती है उसी के अनुसार हम पदार्थ को भी चुनते हैं, जैसे गिलास, काँच अथवा स्टील (धातु) के बनाये जा सकते हैं।

क्रिया कलाप 2.2

काँच की गोली को एक थैले से निकालकर हाथ में लें, फिर गिलास में रखे और देखें कि क्या उसकी बनावट एवं आकार में कोई परिवर्तन होता है ? काँच की गोली को थैले में लें, हाथ में लें अथवा गिलास में लें इसका आकार व आयतन निश्चित होता है।इसी प्रकार शक्कर या नमक को अपने हाथ में लें या किसी प्लेट या जार में रखें।इनके क्रिस्टलों के आकार नहीं बदलते हैं। ठोस पदार्थो में कण (अणु) बहुत पास-पास होते हैं, इनमें आपसी आकर्षण बल बहुत अधिक होता है जो इन्हें एक साथ बाँधे रखता है।


क्रिया कलाप 2.3
ठोस 
जल, दूध, खाना पकाने का तेल आदि द्रव पदार्थो को अलग-अलग गिलास में एकत्रित करें।इन पदार्थोको अलग-अलग बर्तन में रखें।आप क्या देखते हैंं ? द्रव को जिस बर्तन में रखते हैं ये उसी का आकार ले लेते हैं।
ठोस पदार्थो की तुलना में द्रवों के अणु एक दूसरे से दूर-दूर होते हैं ।इनमें आपसी आकर्षण बल ठोस की तुलना में कम होता है जो इन्हें एक साथ व्यवस्थित रखता है।

क्रिया कलाप 2.4
गैस 

आपने खेत जोतते हुए ट्रैक्टर को,सड़क पर मोटर कार तथा मोटर साइकिल को चलते हुए, घर में जलती हुई अगरबत्ती को देखा होगा।आपने यह भी देखा होगा कि इनमें से काले भूरे रंग का धुआँ निकलता है।इस अवस्था में पदार्थो की बनावट एवं आयतन दोनों निश्चित नहीं होते।ये जिस स्थान में रखे जाते हैं उसी की बनावट और आयतन ग्रहण कर लेते हैं।गैसीय पदार्थो में कण अपेक्षाकृत बहुत दूर-दूर होते हैं और इनमें आपसी आकर्षण बल नहीं के बराबर होता है ।इसी प्रकार आपने अनुभव किया होगा कि इत्र की शीशी खोली जाय तो उसकी सुगन्ध काफी दूर तक पहुंच जाती है।

क्रिया कलाप 2.5
जल में घुलनशील तथा अघुलनशील पदार्थ

काँच के अलग-अलग गिलासों में नमक, रेत, शक्कर,चॉक पाउडर, मिट्टी का तेल, खाने का सोडा, लकड़ी के बुरादे की थोड़ी-थोड़ी मात्रा लें।काँच के प्रत्येक गिलास को पानी से आधा-आधा भरें।कुछ समय तक काँच के गिलास को हिलायें।क्या देखते हैं? क्या कुछ पदार्थ पानी में लुप्त हो जाते है ? इसका अर्थ है कि यह पदार्थ पानी में घुल जाते हैं।जो पदार्थ पानी में घुल जाते हैं उनकी सूची बनायें।किसी द्रव जैसे पानी में घुलने वाले पदार्थो को घुलनशील या विलेय पदार्थ कहते हैं।

जो पदार्थ पानी में नहीं घुलते हैं, उनकी भी सूची बनायें।किसी द्रव जैसे पानी में न घुलने वाले पदार्थ को अघुलनशील या अविलेय पदार्थ कहते हैं।कुछ पदार्थ ऐसे होते हैं जो एक द्रव में घुलनशील परन्तु दूसरे में अघुलनशीलहै।जैसे नमक पानी में घुलनशील है किन्तु मिट्टी के तेल में अघुलनशील है।


क्रिया कलाप 2.6
चुम्बकीय तथा अचुम्बकीय पदार्थ

अपने बस्ते में से पेन, पेन्सिल, कम्पास, परकार, रबर, चॉक आदि लेंं।इसके आतिरिक्त लोहे की कुछ कीलें, लकड़ी का बुरादा, चॉक पाउडर, प्लास्टिक के बटन, आलपिन तथा स्टील की चम्मच को किसी कागज पर अलग-अलग रखें।एक छड़ चुम्बक लें।प्रत्येक वस्तु के पास बारी-बारी से चुम्बक को लायें।क्या देखते हैं?

क्रिया कलाप 2.7
अणु 

चॉक अथवा कोयले का बड़ा टुकड़ा लीजिए।इसे पीटकर टुकड़ों में विभाजित कर लें।इसके हर टुकड़े में उस पदार्थ के गुण विद्यमान हैं।अब इसे इतना अधिक पीसें कि यह पाउडर के रूप में आ जाय।अब इस पाउडर को किसी महीन कपड़े से छान लें, छानने पर बहुत महीन कण प्राप्त होते हैं अर्थात छोटे कण भी अत्यधिक छोटे अनेक कणों से मिलकर बने हैं।हम इस प्रकार और आति सूक्ष्म कण की कल्पना कर सकते हैं।

उपरोक्त क्रिया कलाप से उपरोक्त स्पष्ट है कि पदार्थ स्वयं सूक्ष्म कणों से मिलकर बने होते है जिन्हें अणु या परमाणु कहते है।
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क्रिया कलाप 3.1

विषमांगी मिश्रण 

एक कागज पर थोड़ी बालू और लोहे की छीलन को मिला कर रखिए।आपने क्या देखा ? बालू और लोहे की छीलन अलग-अलग दिखायी देती है ।ऐसे मिश्रण जिसमें उनके अवयवी पदार्थो को सामान्यत: अलग-अलग देखा जा सकता है,विषमांगी मिश्रण (heterogeneous mixture) कहलाते हैं।एेसे मिश्रण में सभी घटक समान रूप से वितरित नहीं होते।अत: ऐसे मिश्रण के दो नमूने भिन्न हो सकते हैं।

क्रिया कलाप 3.2

समांगी मिश्रण 

एक गिलास लें ।उसके आधे भाग तक पानी भरें ।इसमें थोड़ी मात्रा में चीनी घोलें ।क्या इस मिश्रण में चीनी और पानी को अलग-अलग देखा जा सकता है ? ऐसे मिश्रण जिनमें दो या दो से अधिक अवयव उपस्थित रहते हैं किन्तु उन्हें अलग-अलग देखा नहीं जा सकताहै, समांगी मिश्रण (homogeneous mixture) कहलाते हैं ।एेसे मिश्रण में कोई दो नमूने एक से होते है।

क्रिया कलाप 3.3

ऊरधपातन 

काँच की प्याली में कपूर और साधारण नमक का मिश्रण लें ।अब एक कीप जिसमें फिल्टर पत्र लगा हो, को  इस पर उलट कर रखें ।कीप की पतली नली के सिरे पर थोड़ी भीगी रुई रखें।पानी से भीगी रुई कीप के बाहरी भाग में लपेट दें।अब प्याली को चित्र की भांति रख कर तब तक गरम करें जब तक मिश्रण से धुआँ न उठने लगे।आप क्या देखते हैं ? यह धुआँ कीप के ठंडे भाग तक पहुँचने पर फिर से ठोस कपूर में परिवर्तित हो जाताहै।इस प्रकार कपूर मिश्रण से पृथक हो जाताहै।इस प्रक्रिया को जिसमें ठोस पदार्थ गरम करने पर बिना द्रवित हुये ही सीधे वाष्म में बदल जाते हैं और ठण्डा होने पर वाष्प सीधे ठोस पदार्थ में बदल जातेहै, ऊर्ध्वपातन कहते हैं ।आयोडीन और नैफ्थलीन को भी अन्य मिश्रणों से इसी विधि द्वारा पृथक किया जाताहै।

क्रिया कलाप 3.4

तलछटीकरण और निथारना

एक बीकर या गिलास में पानी लें ।उसमें थोड़ी बालू मिलायें।अब इसे थोड़ी देर के लिए रखा रहने दें ।हम देखते हैं कि बालू बीकर में नीचे बैठ जातीहै और पानी ऊपर आ जाताहै ।अब एक छड़ के सहारे   बीकर के पानी को दूसरे बीकर या गिलास में अलग कर लें ।इस प्रकार बालू और पानी के मिश्रण से बालू को अलग करना तलछटीकरण और पानी को पृथक करना निथारना कहतेहैं 

तलछटीकरण अथवा निथारने की क्रिया द्वारा ठोस तथा द्रव के उन्हीं मिश्रणों के घटकों को पृथक किया जा सकता है जो द्रव में अघुलनशील हों तथा भारी होने के कारण उसकी पेंदी में बैठ जाते हों।


क्रिया कलाप 3.5

•अपकेन्द्रण
एक छन्ना कागज लें ।उसे तिकोनी आकृति में मोड़ कर एक फनल में लगायें ।फनल के नीचे एक बीकर रखें ।अब एक दूसरे बीकर या गिलास में मिट्टी मिला हुआ गंदा पानी लेकर उसे धीरे-धीरे फनल में डाले।हम देखते हैैं कि साफ पानी फनल से निकल कर बीकर मेें एकत्र होताहै ।यह प्रक्रिया भी छानना ही है।यहाँ मिश्रण में से सूक्ष्म आकार के अघुलनशील पदार्थ को पृथक करने के लिए सूक्ष्म छिद्रों वाला छन्ना कागज (फिलटर पेपर)उपयोग किया गया।अत: छन्ने का चयन मिश्रण के कणों के आकार के अनुसार किया जाता है।

क्रिया कलाप 3.6
 वाष्पन विधि :
लगभग आधा मग पानी लें और उसमें नमक घोलें।इस पानी को चित्रानुसार गर्म करें।थोड़ी देर बाद हम देखते हैं कि बीकर का सारा पानी वाष्प बनकर उड़ जाताहै और बीकर में नमक शेष रह जाताहै ।इसी विधि द्वारा समुद्र से नमक प्राप्त किया जाता है।किसी द्रव का वाष्प में परिवर्तित होना वाष्पन कहलाता है ।यह क्रिया प्रत्येक ताप पर निरन्तर होती रहती है।
क्रिया कलाप 3.7
आसवन विधि 
एक धातु की प्लेट लीजिए जिस पर कुछ बर्फ रखी हो।प्लेट को केतली की टोंटी के ठीक ऊपर पकड़िए गर्म करने पर केतली का सारा पानी भाप में बदल जाता है, जब भाप बर्फ से ठंडी की गई प्लेट के सम्पर्क में आती है तो वह द्रव जल बन जाती है।यह द्रव बूंद-बूंद बनकर बीकर में इकट्ठा हो जाता है।भाप का द्रव में परिवर्तित होने की क्रिया को संघनन कहते 

क्रिया कलाप 3.8
•क्रिस्टलीकरण
एक बीकर में आधे भाग से अधिक पानी भरें।इसमें फिटकरी को तब तक घोलते जायें जब तक कि पानी में फिटकरी का घुलना बन्द न हो जाये ,तो ऐसे विलयन को संतृप्त विलयन कहते है इस घोल को गरम करें।गरम करने पर फिटकरी की जल में विलेयता बढ़ जाती है, अर्थात् फिटकरी की कुछ और मात्रा जल में घुल जाती है।अब इस घोल को बिना हिलाये ठंडा करें।कुछ घंटों बाद फिटकरी के शुद्ध क्रिस्टल प्राप्त हो जाते हैं ।इस प्रक्रिया को क्रिस्टलीकरण कहते हैं

क्रिया कलाप 3.9
 दो अमिश्रणीय द्रवों को पृथक करना
पानी और मिट्टी के तेल का मिश्रण लें ।इस मिश्रण को पृथक्कारी कीप में डालें और हिला कर स्थिर होने दें ।क्या देखते हैं ? कीप में दो पृथक पर्ते दिखाई पड़ती हैं ।दोनों पर्तो को पहचाने।कौन सी परत ऊपरहै ? मिट्टी का तेल पानी से हल्का होता है, इसलिए यह पानी के ऊपर एकत्र हो जाता है। अब पृथक्कारी कीप की स्टाप काक को खोलें और निचली पर्त में एकत्र द्रव को एक बीकर में निकाल कर एकत्र करें।एकत्र किया द्रव पानी है।कीप में बचा द्रव मिट्टी का तेल है ।आप देखेंगे कि केवल एक या दो बूँद पानी ही मिट्टी के तेल में शेष बचा रहता है, बाकी पानी मिट्टी के तेल से पृथक कर लिया जाता है।
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क्रिया कलाप 4.1
कमरे की लम्बाई को पग (कदमों) से नापकर फिर फीते से नापें और तालिका  भरे
नोट 
1 इंच=2.54सेमी.(cm)
1 फुट = 12इंच= 30.48सेमी.(cm)
1 गज= 3 फुट
1 मी.(m) = 100सेमी.(cm)
1कि.मी.(km) = 1000 m

क्रिया कलाप 4.2

 पटरी में अंकित शून्य को किताब की लम्बाई के एक सिरे पर रखें ।
•किताब के दूसरे सिरे के ठीक सीध में आँख को रख कर पटरी पर पाठ्यांक (अंक)को देखें।
•पटरी का पाठ्यांक (अंक) नोट करें।यह पाठ्यांक (अंक) क्या बताताहै? यह पाठ्यांक (अंक)किताब की लम्बाई बताता है।
•सही पाठ्यांक के लिए आँख को पैमाने की सीध में रखते हैं न कि दायें-बायें ऐसा करना क्यों आवश्यक है ?
जरा सोचो- क्या किसी किताब की लम्बाई पटरी में अंकित शून्य के स्थान पर किसी और अंक से प्रारम्भ करके भी नापी जा सकती है।

क्रिया कलाप 4.3

अधोलिखित तालिका में दी गई वस्तुआें की सही माप लेकर उनके सामने लिखें -
1. बेंच की लम्बाई--------------------------------------------------
 2 कमरे की चोड़ाई -----------------------------------------------------
3 पेंसिल की लम्बाई ----------------------------------------------------
4 दरवाजे की ऊंचाई ----------------------------------------------------

क्रिया कलाप 4.4

अधोलिखित तालिका  में दी गई वस्तुआें की लम्बाई, चौड़ाई माप कर क्षेत्रफल ज्ञात करें -
1 . श्यामपट्ट का क्षेत्रपाल -----------------------------------------------
2 मेज -------------------------------------------------------------------
3 कैरम बोर्ड -------------------------------------------------------------
4 कमरे का दरवाजा ----------------------------------------------------
नोट 
1 एअर = 100 m 2
1 हेक्टेयर = 100 एअर
= 100X100 m 2
= 10,000 m 2
1 डेसिमल= 40 m 2
1 एकड़ = 100 डेसिमल
= 4000 m 2
1 हेक्टेयर = 2.5 एकड़

क्रिया कलाप 4.5

अधोलिखित तालिका में दी गयी वस्तुआें का लम्बाई चौड़ाई और ऊँचाई माप कर आयतन ज्ञात करें :-
1 ईंट -------------------------------------------------------------------
2 बॉक्स ---------------------------------------------------------------
3 कांच का गुटका------------------------------------------------------
4. पुस्तक -------------------------------------------------------------
नोट 
बर्तन के धारिता की माप लीटर में की जाती है।
1000 घन सेन्टीमीटर (cm3)= 1 लीटर (L)
1000 लीटर (L)= 1घन मीटर (m3)

क्रिया कलाप 4.6
•तीन खाली गिलास लें ।
•एक गिलास में ठंडा जल, दूसरे में गुनगुना जल तथा तीसरे में गरम जल लें ।
•एक हाथ की अँगुलियों को ठण्डे जल तथा दूसरे हाथ की अँगुलियों को गरम जल में कुछ समय तक डुबोये रखे
•अब दोनों हाथों की अँगुलियों को गुनगुने पानी में डुबोये ।क्या अनुभव होता है?
क्या ठंडे पानी में रखी अँगुलियों को गुनगुना पानी गरम और गरम पानी वाली को यह पानी ठंडा अनुभव होता है?
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क्रिया कलाप 5.1

तालिका में दिये गये परिवर्तनों को मंद और तीव्र परिवर्तन में वर्गीकृत कीजिए।
1 दूध का दही जमना 
2 रोटी में फफूंद लगना 
3 कपडे का सूखना 

क्रिया कलाप 5.2
 प्रत्यावर्तित परिवर्तन
एक गुब्बारा लीजिए और उसे फुलाइए।(चित्र 5.2) सावधानी रखें कि वह फट न जाए।आप देखेंगे कि गुब्बारे का आकार फूल कर बड़ा हो जाता है।अब उसकी हवा निकाल दीजिए।वह फिर अपनी पुरानी अवस्था में आ जाता है।गुब्बारे का फूलना एक प्रत्यावर्तित परिवर्तन है क्योंकि हवा निकाल देने पर गुब्बारा पुन: अपनी पहली स्थिति में आ जाता है।क्या सभी परिवर्तन प्रत्यावर्तित किये जा सकते हैं ?

क्रिया कलाप 5.3

दो चम्मच नमक लें, एक कटोरी में थोड़ा पानी लेकर उसमें नमक को घोलें ।अब इस घोल को तब तक गरम करें जब तक सारा पानी वाष्पित न हो जाए ।क्या दिखाई देता है ? बीकर की तली में सफेद पदार्थ दिखाई देताहै ।इसे चखें ।यह पदार्थ नमक है ।
क्रिया कलाप 5.4 
• भौतिक परिवर्तन

एक चीनी मिट्टी की प्याली में मोम का एक ठोस टुकड़ा लेकर चित्र 5.4 की भाँति पिघलायें।ठोस मोम द्रव में बदल जाती है।अब प्याली को ज्वाला से हटाकर कुछ देर रखा रहने दें।हम देखते हैं कि मोम पुन: ठोस अवस्था में बदलने लगता है।ऊपर के दोनों उदाहरणों में क्या कोई नया पदार्थ बन रहा है ?इन सभी परिवर्तनों में कोई नया पदार्थ नहीं बना तथा पदार्थ के अणुआें की संरचना में कोई परिवर्तन नहीं होता है।
• भौतिक परिवर्तन में पदार्थ का रूप बदल जाता है परन्तु कोई नया पदार्थ नहीं बनता ।भौतिक परिवर्तन के पश्चात समान्यत: पदार्थ की पूर्व स्थिति पुन: प्राप्त की जा सकती है।

क्रिया कलाप 5.5
•रासायनिक परिवर्तन
मैग्नीशियम की पतली पट्टी (फीता) अथवा तार का टुकड़ा लीजिए।इसके एक सिरे को मोमबत्ती की लौ के पास ले जाइए।यह श्वेत प्रकाश देती हुई जलने लगेगी। पूरी जलने के बाद सफेद रंग का पाउडर शेष बच जाताहै।क्या यह सफेद पाउडर मैग्नीशियम के फीते जैसा लगता है ? नही, यह एक नया पदार्थ है।यह परिवर्तन रासायनिक परिवर्तन है।मोम बत्ती का जलना भी एक रासायनिक परिवर्तन है।
•रासायनिक परिवर्तन में एक या एक से अधिक नया पदार्थ बनता है जिससे सामान्यतया पूर्व पदार्थो को 
नहीं किया जा सकता है।
सावधानी
रसायन को न चखें,  मैग्नीशियम के जलते हुए फीते (अथवा तार) की ओर लम्बे समय तक देखना हानिकारक है।जलते हुए मैग्नीशियम की ओर अधिक समय तक टकटकी लगाकर न देखें ।

क्रिया कलाप 5.6

काँच के दो बीकर लें, दोनों में आधे भाग तक पानी भरें ।अब दोनों बीकरों में एक-एक चम्मच चीनी डालें ।एक बीकर को ऐसे ही रहने दें तथा दूसरे को चम्मच से हिलाएं ।क्या दिखाई देता है ? जिस बीकर में पानी तथा चीनी को नहीं हिलाया गया उसमें चीनी देर में घुलती है जबकि दूसरे बीकर में चम्मच से हिलाने पर घुलने की प्रक्रिया तेज हो जाती है ।
दो या दो से अधिक पदार्थो में परिवर्तन एक दूसरे के सम्पर्क के कारण होता है।

क्रिया कलाप 5.7

चीनी मिट्टी की एक प्याली लें ।उसमें दो चम्मच चीनी लें ।अब प्याली को गरम करें तथा चीनी में होने वाले परिवर्तन को देखें।क्या दिखाई देताहै ? चीनी प्याली में पिघलने लगती है और थोड़ी देर बाद चीनी काली पड़ जातीहै।ठंडा करने पर यह काले ठोस में बदल जाती है ।क्या निष्कर्ष निकलताहै ? ऊष्मा के प्रभाव से चीनी के रंग तथा गुणों में परिवर्तन हो जाता है ।ये काले ठोस के रूप में बदल जाती है ।क्या चीनी के जलने से प्राप्त काले ठोस के गुण चीनी के गुणों से भिन्न होते हैं ? चीनी के जलने से प्राप्त काले ठोस के भौतिक तथा रासायनिक गुण चीनी से भिन्न होते हैं ।इस काले ठोस को ``शुगर चारकोल'' कहते हैं ।
प्रतिक्रिया द्वारा क्रिया करने वाले पदार्थोके आकार, रंग, स्थिति (भौतिक एवं रासायनिक गुणों) में परिवर्तन हो जाताहै ।

क्रिया कलाप 5.8

एक परखनली लीजिए, उसमें तीन चौथाई पानी भरें।पानी में थोड़ा बिना बुझा चूना मिलायें।परखनली को छूकर देखें।क्या अनुभव करते हैं ? परखनली गर्म हो जाती है,क्योंकि बिना बुझे चूने के पानी में घुलने पर ऊष्मा मुक्त होती है।घरों में चूने द्वारा पुताई करते समय आपने इस क्रिया को देखा होगा।क्या आपने सोचा है कि इन परिवर्तनों के पीछे क्या कारण है ? इन परिवर्तनों में ऊर्जा का आदान प्रदान होताहै।विभिन्न परिवर्तनों में भिन्न-भिन्न प्रकार की ऊर्जा का उपयोग होताहै।आइये देखें किस प्रकार की ऊर्जा का उपयोग कहाँ हो रहा है।अनेक परिवर्तनों में ऊर्जा एक रूप से दूसरे रूप में परिवर्तित भी होती है।


क्रिया कलाप 5.9

एक बीकर में 100 ml जल लें, उसमेें कॉस्टिक सोडा की थोड़ी सी मात्रा घोलें।छूकर देखें कैसा महसूस करते हैं।इस क्रिया में ऊष्मा ऊर्जा मुक्त होती है।जिससे छूने पर बीकर गर्म महसूस होता है।
कुछ परिवर्तनों में ऊष्मीय ऊर्जा उत्पन्न होती है ।
इसी प्रकार थोड़ा ग्लूकोस अपनी जीभ पर रखें या थोड़ा सा एल्कोहल अपनी हथेली पर रखें ।कैसा अनुभव करते हैं ?
दोनों ही परिस्थितियों में ऊष्मा ऊर्जा अवशोषित होती है इसलिए जीभ तथा हथेली पर ठंडक महसूस होती है ।
क्रिया कलाप 5.10
एक हैन्ड लेंस लें ।इसे सूर्य के प्रकाश के सामने रखें ।अब एक कागज लें ।हैन्ड लेंस को ऊपर - नीचे करके सूर्य की किरणों को कागज पर केन्द्रित करें ।कागज गरम होकर जलने लगता है ।यह परिवर्तन सौर ऊर्जा के कारण होता है ।सोलर कुकर में सौर ऊर्जा ऊष्मीय ऊर्जा के रूप में परिवर्तित होकर भोजन पकाती है ।
क्रिया कलाप 5.11
एक कागज पर कुछ आलपिन रखें ।एक छड़ चुम्बक को इनके पास लायें ।क्या होता है ? आलपिनें चुम्बक से चिपक जाती हैं।प्रत्येक में चुम्बकीय गुण आ जाताहै।लोहे की भारी वस्तु को उठाने के लिए क्रेन में चुम्बक का प्रयोग किया जाता है।

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क्रिया कलाप 6.1

•आइए लगभग एक मीटर लम्बी मजबूत डोरी लें ।
•डोरी के एक सिरे से पत्थर का एक छोटा टुकड़ा अच्छी तरह से बाँधें ।
•डोरी के दूसरे सिरे को हाथ से पकड़ कर अपने चारों ओर क्षैतिज तल में घुमाएँ।
• पत्थर के टुकड़े की गति का मार्ग कैसा है ?
इस प्रकार की गति को वृत्तीय गति कहते हैं ।
सूर्य के चारों ओर पृथ्वी की गति, पृथ्वी के चारों ओर चन्द्रमा की गति, कोल्हू चलाते हुए बैल की गति, वृत्तीय गति के कुछ उदाहरण हैं।
क्रिया कलाप 6.2

• आप सभी लट्टू से परिचित हैं।एक लट्टू को डोरी से लपेटकर घुमाएं।
• घूमते हुए लट्टू को ध्यान से देखें ।
• लट्टू किस प्रकार की गति कर रहा है ?
लट्टू घूर्णन गति कर रहा है।घूर्णन गति में सम्पूर्ण वस्तु एक स्थान से दूसरे स्थान को स्थानान्तरित नहीं होती है बल्कि वह अपने धुरी (घूर्णन अक्ष)के चारों ओर घूमती है ।
बर्तन बनाने वाले कुम्हार का चाक, घूमती हुई फिरकी, पंखे तथा कुएं से पानी निकालने वाली घिरनी घूर्णन गति के उदाहरण हैं।जब कोई वस्तु अपने अक्ष के चारों ओर घूमती है तो उसकी गति घूर्णन गति कहलाती है।
क्रिया कलाप 6.3

• पत्थर का एक छोटा टुकड़ा तथा एक मीटर लम्बा एेंठन रहित धागा लें।
• धागे के एक सिरे से पत्थर के टुकड़े को बाँधें ।
• धागे के दूसरे सिरे को किसी खूँटी या हुक से बाँधकर पत्थर के टुकड़े को लटकाएँ।
• धागे से लटके हुए पत्थर के टुकड़े को एक तरफ खींच कर छोड़ दें।
पत्थर का टुकड़ा अपनी स्थिर स्थिति के दोनों ओर गति करने लगताहै।यह किस प्रकार की गति है ? इस प्रकार की गति को दोलन गति कहते हैं।
झूले में झूलते हुए बच्चे की गति , किसी स्प्रिंग में लटके हुए पिण्ड की गति, दीवार घड़ी के पेन्डुलम की गति किस प्रकार की गति है ?
जब कोई वस्तु अपने माध्य स्थिति के दोनों ओर गति करती है तो इस प्रकार की गति को दोलन गति कहते हैं।
क्रिया कलाप 6.4

• एक फोम या स्पंज का टुकड़ा लें ।
• टुकड़े को मेज पर रखकर आप अपने हाथ से दबाएँ, क्या होता है ?
फोम या स्पंज का टुकड़ा दब जाता है तथा उसकी आकृति बदल जाती है ।इसी प्रकार किसी रबर बैण्ड को दोनों हाथों से खींचने पर उसकी आकृति बदल जाती है।इससे क्या निष्कर्ष निकलता है।
 बल द्वारा किसी वस्तु की आकृति में परिवर्तन किया जा सकता है ।

क्रिया कलाप 6.5

•आप अपने दोनों हाथों में एक ईंट को लेकर ऊपर की ओर उठाएँ।
• ईंट को ऊपर की ओर उठाने में लगाये गये बल का अनुभव करें ।
•उसी आकार की दो ईंटाें को ऊपर की ओर उठाएँ।
•दोनों बार ईंटों को उठाने में किस दशा में अधिक बल लगाना पड़ता है
 दो ईंटों को उठाने में, एक ईंट की अपेक्षा अधिक बल लगाना पड़ता है ।हल्की वस्तुआें को उठाने में कम बल तथा भारी वस्तुआें को उठाने में अधिक बल लगाया जाताहै।
क्रिया कलाप 6.6
• पत्थर का एक छोटा टुकड़ा लें।इसे ऊपर की ओर फेंकें।
•कुछ समय बाद आप क्या देखते हैं ?
•पत्थर का टुकड़ा कुछ ऊँचाई तक जाकर जमीन पर गिर जाता है।
पृथ्वी,पत्थर के टुकड़े को अपने केन्द्र की ओर आकर्षित करती है। पृथ्वी के इस आकर्षण बल को गुरुत्व बल कहते हैं।सभी वस्तुआें पर गुरुत्व बल कार्य करता है।
पृथ्वी प्रत्येक वस्तु को अपने केन्द्र की ओर खींचती है।



क्रिया कलाप 6.7
 चुम्बकीय बल 
• लोहे की छोटी-छोटी कीलें तथा एक दण्ड चुम्बक लें ।
• कीलों को मेज के ऊपर रखें ।
•चुम्बक को कीलों के पास तक ले जाएँ।आप क्या देखते हैं ?
चुम्बक लोहे की कीलों को अपनी ओर खींच लेताहै ।चुम्बक द्वारा कीलों पर लगाए गये इस बल को चुम्बकीय बल कहते हैं।
किसी चुम्बक द्वारा किसी अन्य चुम्बक तथा चुम्बकीय पदार्थो पर लगाया गया बल चुम्बकीय बल कहलाता है।



क्रिया कलाप 6.8
.विद्युतीय बल :
• कागज के छोटे-छोटे टुकड़े लें ।
• प्लास्टिक के पैमाने (स्केल) को सूखे बालों अथवा कागज से रगड़ कर टुकड़ों के पास ले जाएँ।क्या देखते हैं ? कागज के टुकड़े प्लास्टिक के स्केल की ओर आकर्षित होने लगतेहै क्यों ? ऐसा विद्युतीय बल लगने के कारण होता है ।

क्रिया कलाप 6.9 

. घर्षण बल :
• एक पुस्तक लें ।पुस्तक को मेज की सतह पर सरका कर छोड़ दें ।क्या होता है ?
•पुस्तक मेज पर थोड़ी दूर जाकर रुक जातीहै।आप जानते हैं कि किसी गतिशील वस्तु को रोकने के लिए गति के विपरीत दिशा में बल लगाने की आवश्यकता होती है ।क्या पुस्तक को रोकने में किसी बल का प्रयोग हुआ ?

जब पुस्तक मेज की सतह पर सरकती है तो उसके सम्पर्क तल पर उसकी गति को विरोध करने वाला एक बल लगता है ।इस बल को घर्षण बल या घर्षण कहते हैं ।यह वस्तु और सतह के बीच रगड़ द्वारा उत्पन्न बल है जो से सापेक्ष गति का विरोध करता है।

किन्हीं दो सतह के सम्पर्क तलों के बीच सापेक्ष गति का विरोध करने वाले बल को घर्षण बल कहते हैं।

क्रिया कलाप 6.10

•लगभग 50 cmलम्बा तथा 15 cmचौड़ा लकड़ी का पटरा लें।
• लकड़ी के पटरे को पक्के फर्श पर एक ईंट की सहायता से झुका कर रखें।
• एक छोटी गेंद को झुके हुए पटरे के ऊपरी सिरे से छोड़े।
• गेंद द्वारा पक्के समतल फर्श पर चली दूरी को नाप लें ।
• इसके पश्चात् यही प्रयोग कच्चे फर्श पर करें तथा कच्चे फर्श पर गेंद द्वारा चली गयी दूरी नाप लें।
• किस फर्श पर गेंद द्वारा चली गयी दूरी अधिक है ? यह दूरी पक्के फर्श पर अधिक क्यों है ?
•पक्के (चिकने) फर्श पर घर्षण बल कम तथा कच्चे (खुरदरे) फर्श पर घर्षण बल अधिक लगता है।

क्रिया कलाप 6.11

• किसी भारी पत्थर को हाथ से उठाने या खिसकाने का प्रयास करें ।
•मजबूत लकड़ी की लाठी या संभल की सहायता से पत्थर को उठाने का प्रयास करें ।
क्या होता है ? भारी पत्थर आसानी से उठ जाताहै ।इस प्रकार उपयोग में लायी गयी लाठी एक उत्तोलक है ।
भारी पत्थर को उठाने में लाठी के नीचे टेक लगाना पड़ताहै ।यह टेक आलम्ब कहलाता है
क्या सभी उत्तोलक एक ही प्रकार के होते हैं ?
आयास, आलम्ब तथा भार की स्थितियों के अनुसार उत्तोलक तीन प्रकार के होते हैं ।

प्रथम प्रकार के उत्तोलक :-

जिन उत्तोलकों में आयास (बल) और भार के मध्य आलम्ब होताहै, वे प्रथम प्रकार के उत्तोलक कहलाते हैं ।
जैसे -हैण्डपम्प, कील निकालने वाली हथौड़ी, प्लायर्स, सीसाॅझूला, दण्ड तुला आदि।
द्वितीय प्रकार के उत्तोलक :-
जिन उत्तोलकों में भार, आलम्ब तथा आयास के मध्य होता है, वे द्वितीयक प्रकार के उत्तोलक कहलाते है।
पहिये वाली ट्राली, सरौता तथा बोतल का ढक्कन खोलने वाला यंत्र आदि।
तीसरे प्रकार के उत्तोलक :-
इस प्रकार के उत्तोलकों में आयास, भार और आलम्ब के बीच होताहै ।जैसे -चिमटी, नेल कटर, झाड़ू सीढ़ी आदि


क्रिया कलाप 6.12

• लोहे के भारी बाँक्स को उठाकर ट्रक पर रखने का प्रयास करेें।लकड़ी का एक मजबूत पटरा लें ।
•पटरे को ट्रक से पृथ्वी पर झुका कर रखें ।
•अब लोहे के बाँक्स को पटरे की सहायता से ट्रक पर चढ़ायें।क्या होता है ?
झुके हुए तल की सहायता से भारी भार को ट्रक पर चढ़ाने में आसानी होती है।
झुका तल एक सरल मशीन की तरह कार्य करता है ।

घिरनी (पुली):-

घिरनी की सहायता से कुएँ से पानी बड़ी आसानी एवं सुविधाजनक तरीके से निकाल सकते हैं ।घिरनी एक सरल मशीन है ।यह चल तथा अचल दोनों तरह व्यवस्थित हो सकती हैं

पेंच (स्क्रू) :-

किसी मोटर वाहन के पहिए को निकालने में उसके धुरादण्ड को उठाने के लिए स्क्रूजैक का प्रयोग किया जाता है ।

पहिया और धुरी :-

रेलवे स्टेशनों पर कुलियों द्वारा प्रयोग की जाने वाली ट्राली में पहिया और धुरी लगी होतीहै ।ट्राली की सहायता से कुली बड़ी आसानी व सुविधाजनक तरीके से भारी बोझ को एक स्थान से दूसरे स्थान तक कम बल लगा कर ले जाते हैं ।नट बोल्ट, स्ट्रेचर ट्राली भी पहिया धुरी सिद्धान्त पर कार्य करते हैं 























Monday, July 9, 2018

MAMMALS PART 1


  • MAMMALS GIVE BIRTH TO LIVE BABIES AND PRODUCE MILK FOR THEIR YOUNG ONES..
  • THEY ARE WARM BLOODED.
  • THEY HAVE HAIR ON THEIR BODY.
  • RED PANDA IS ALSO KNOWN AS FIREFOX..
  • OTTER IS ALSO REFEREED TO AS THE WATER DOG.
  • GAUR IS ALSO KNOWN AS THE INDIAN BISON.
  • MARMOTS ARE FOUND IN HIMALAYAS.
  • 22 MONTHS IS THE GESTATION PERIOD OF AN ASIAN ELEPHANT.
  • NILGIRI IS THE LARGEST ANTELOPE.
  • RUSTY - SPOTTED CAT IS THE SMALLEST WILD CAT FOUND IN INDIA.
  • MARMOT BELONS TO RODENTS GROUP.
  • ELEPHANT HAVE 40,000 MUSCLES IN ITS TRUNK.
  • PRAIRIE DOG BELONGS TO THE FAMILY OF RAT.
  • MONOTREMES ARE MAMMAL THAT LAY EGGS.
  • GANGETIC RIVER DOLPHINS USES ECHOLOCATION METHOD  TO NAVIGATES AND FORAGE .
  • SNOW LEOPARD CAT CAN NOT ROAR.
  • HIMALAYAN TAHR IS A WILD GOAT WITH DISTINCTLY BACKWARD - CURVING HORNS.
  • RHESUS MACAQUE IS THE MOST COMMON PRIMATE AFTER MAN FOUND IN INDIA.
  • DANCING DEER IS THE NAME FOR ELD'S DEER. ENDANGERED SPECIES.
  • MUSK DEER IS THE STATE MAMMAL OF UTTRAKHAND.
  • HEOLOCK GIBBON IS THE ONLY APE FOUND IN INDIA.
  • TIBETAN WILD ASS IS ALSO KNOWN AS KIANG .
  • FIVE SPECIES OF BIG CATS ARE FOUND IN OUR COUNTRY.
  • THE AGE OF A MALE IBEX CAN BE CALCULATED BY LOOKING AT ITS HORNS.
  • GIBBON PRIMATE IS TYPICALLY MONOGAMOUS .
  • STREAK AND AMBUSH IS CALLED AS THE GROUP OF TIGERS.
  • LION CUBS HAVE FAINTLY SPOTTED COATS.
  • PANTHERA GENUS BELONGS TO BIG CATS.
  • A FLYING FOX IS KNOWN AS BAT ALSO.
  • DHOLE IS THE OTHER COMMON NAME OF THE INDIAN WILD DOG.
  • SCIENTIFIC NAME FOR COMMON LEOPARD IS PANTHERA PARDUS.


















गणित ओलंपियाड अभ्यास प्रश्न भाग 1 संख्याएं dr Parag misra

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